Move to Jagran APP

म्यांमार में बदलेगा सैन्य संविधान, बढ़ सकता है सरकार और सेना में तनाव

म्यांमार में सेना की ओर से थोपे गए संविधान को बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। सेना लिखित संविधान में सुधार के लिए मंगलवार को एक समिति गठित की गई।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 05:55 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 05:55 PM (IST)
म्यांमार में बदलेगा सैन्य संविधान, बढ़ सकता है सरकार और सेना में तनाव
म्यांमार में बदलेगा सैन्य संविधान, बढ़ सकता है सरकार और सेना में तनाव

यंगून, एएफपी। म्यांमार में सेना की ओर से थोपे गए संविधान को बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। सेना लिखित संविधान में सुधार के लिए मंगलवार को एक समिति गठित की गई। आंग सान सू की सरकार के इस कदम को सेना के खिलाफ देखा जा रहा है। इससे सेना और सरकार के बीच तनाव बढ़ सकता है।

loksabha election banner

चुनाव में एनएलडी ने किया था ये वादा
म्यांमार में साल 2015 में हुए चुनाव में सू की के दल नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) को भारी जीत मिली थी। इसके बावजूद उसे सेना के साथ सत्ता साझा करने के लिए समझौता करना पड़ा था। 2008 के संविधान के तहत सुरक्षा से जुड़े सभी मंत्रालयों पर सेना का नियंत्रण है। यही नहीं, संसद की एक चौथाई सीटें भी सेना के लिए आरक्षित हैं। इससे सेना को संविधान में किसी बदलाव पर वीटो लगाने का अधिकार है।

सू की की पार्टी ने इस विवादित दस्तावेज में बदलाव का वादा किया था। इसी कवायद में समिति बनाने के प्रस्ताव पर मंगलवार को संसद में मतदान कराया गया, जो भारी बहुमत से पारित हो गया।

45 सदस्यीय समिति गठित
सदन के डिप्टी स्पीकर और एनएलडी के सांसद तून तुन हेन ने कहा, 'इस समिति का मकसद 2008 के संविधान में बदलाव करने के लिए एक विधेयक तैयार करना है। 45 सदस्यीय समिति में 18 सीटें एनएलडी को दी गई हैं जबकि आठ सेना और बाकी दूसरी पार्टियों में बांटी गई हैं।'

प्रस्ताव का सैन्य कोटे के सांसदों ने किया था विरोध
संविधान पर चर्चा के लिए समिति बनने से सेना के साथ तकरार की आशंका बढ़ गई है। इसका संकेत उसी समय मिल गया था जब फरवरी के शुरू में समिति बनाने का प्रस्ताव संसद में पेश किया गया था। उस समय सैन्य कोटे के सांसदों ने इसका विरोध किया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.