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Myanmar: आंग सान सू को 6 साल की और जेल की सजा, भ्रष्टाचार के मामले में ठहराया गया दोषी

म्यांमार की 77 वर्षीय अपदस्थ नेता को भ्रष्टाचार से लेकर चुनावी उल्लंघन तक कम से कम 18 अपराधों में आरोपी बनाया गया है जिसमें लगभग 190 सालों की संयुक्त अधिकतम जेल की सजा है। हालांकि सू ने सभी आरोपों के बेबुनियाद और बेतुका बताया है।

By Piyush KumarEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 05:17 PM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 05:17 PM (IST)
Myanmar: आंग सान सू को 6 साल की और जेल की सजा, भ्रष्टाचार के मामले में ठहराया गया दोषी
लोकतांत्रिक समर्थक नेता आंग सान सू की को मिली 6 साल की और मिली सजा।(फाइल फोटो)

 नैपीताव, एजेंसी। म्यामांर की नोबेल पुरुस्कार विजेता और लोकतांत्रिक समर्थक नेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) को सेना शासित म्यामांर की एक कोर्ट ने चार मामलों में दोषी पाए जाने के बाद सोमवार को 6 साल जेल की और सजा सुनाई है। समाचार एजेंसी रॅायटर्स के मुताबिक, म्यांमार की 77 वर्षीय अपदस्थ नेता को भ्रष्टाचार से लेकर चुनावी उल्लंघन तक कम से कम 18 अपराधों में आरोपी बनाया गया है, जिसमें लगभग 190 सालों की संयुक्त अधिकतम जेल की सजा है। हालांकि सू ने सभी आरोपों के बेबुनियाद और बेतुका बताया है।

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सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॅायटर्स को बताया कि सोमवार को उन्हें स्वास्थ्य और शिक्षा संगठन, दाव खिन की फाउंडेशन (Daw Khin Kyi Foundation) से धन का दुरुपयोग करने के मामले में दोषी पाया गया। बता दें कि सू की को म्यांमार की राजधानी नैपीताव की एक जेल में एकांत कारावास में रखा गया है। उन्हें पहले ही अन्य मामलों में 11 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है।

सेना ने किया था तख्तापलट

म्यांमार में 1 फरवरी 2021 की रात सेना ने तख्तापलट करते हुए सू की हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग तब से देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। हालांकि जनरल मिन आंग हलिंग ने कहा था कि 2023 में आपातकालीन खत्म कर दिया जाएगा। साथ ही आम चुनाव भी कराए जाएंगे। बता दें कि तख्तापलट के बाद लोकतात्रिंक विचारधारा के लोगों और सेना के बीच हुई हिंसा में तकरीबन 940 लोग मारे गए थे।

जानें आंग सून सू पर क्या आरोप लगे थे 

नवंबर 2022 में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे। इस चुनाव में आंग सून सू की पार्टी ने दोनों सदनों में 396 सीटें जीतीं थीं। वहीं, म्यांमार की मुख्य विपक्षी पार्टी ने महज 33 सीटें जीतीं थी लेकिन इस पार्टी को सेना का समर्थन प्राप्त था। नतीजा आने के बाद सेना ने वोटिंग और चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। सेना द्वारा सून की और उनकी पार्टी पर चुनाव में धांधली करने के आरोप लगाए गए और आखिर में सेना ने म्यांमार में तख्तापलट कर दिया।


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