आलसी होने के कारण लुप्त हुए होमो इरेक्टस मानव
एक पुरातात्विक खोदाई में पाषाण युग के प्रारंभ में अरब के पेनिनसुला में पाई जाने वाली मनुष्य की प्रजाति ने अपने रहन-सहन के साधन जुटाने के लिए सबसे कम प्रयास किए।
मेलबर्न [प्रेट्र]। आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। अब यह बात वैज्ञानिक अध्ययनों से भी स्पष्ट हो रही है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि मनुष्य की आदिम प्रजाति होमो इरेक्टस के लुप्त होने का कारण उनका आलसी स्वभाव और बदलते वातावरण से सामंजस्य न बैठा पाना था। एक पुरातात्विक खोदाई में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि पाषाण युग के प्रारंभ में अरब के पेनिनसुला में पाई जाने वाली मनुष्य की प्रजाति ने अपने रहन-सहन के साधन जुटाने और औजार इकट्ठा करने के लिए सबसे कम प्रयास किए।
ऐसे लोग थे जो हिलाना भी नहीं चाहते थे
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के सेरी शिप्टन का कहना है कि वे ऐसे लोग थे जो खुद को हिलाना भी नहीं चाहते थे। मैंने ये कभी नहीं पाया कि उन्होंने कभी दुनिया में घुलने-मिलने की कोशिश की। पाषाण युग के बारे में यह पता चलता है कि उस दौरान मनुष्य पत्थरों की मदद से अपने लिए औजार बनाता था और ये पत्थर उसे अपने निवास स्थल के आसपास पहाड़ों से मिलते थे।
कौन थे होमो इरेक्टस
होमो इरेक्टस से तात्पर्य है सीधा आदमी। यह मनुष्य की वह प्रजाति थी, जिसने सीधे खड़े होना सीख लिया था। इनकी उत्पत्ति अफ्रीका महाद्वीप में मानी जाती है जहां ये यूरेशिया, जॉर्जिया, भारत, चीन और इंडोनेशिया तक गए। होमो इरेक्टस का सबसे पुराना अवशेष 19 लाख साल पहले का है और ताजा अवशेष 70 हजार साल पुराना है। नृविज्ञानियों का मानना है कि ये मानव आग का प्रयोग करते थे और सामाजिक रूप से अपने पूर्व की प्रजातियों से अधिक आधुनिक भी थे। हालांकि मनुष्यों की इस प्रजाति की उत्पत्ति, वंश और संतान को लेकर शोध अभी जारी है।
आस-पास पड़े पत्थरों का ही प्रयोग करते रहे
शोधकर्ताओं ने पाया कि जहां होमो इरेक्टस के निशान मिले हैं वहां से कुछ ही दूरी पर अच्छे पत्थरों की एक चट्टान थी, लेकिन पहाड़ी पर जाने के बजाय होमो इरेक्टस पहाड़ी से लुढ़ककर आने वाले या आस-पास पड़े पत्थरों का ही प्रयोग करते रहे। बाद प्रजातियों होमो सेपियन्स और निएंडरथल में इस बारे में विरोधाभास मिलता है। इन प्रजातियों ने अच्छी गुणवत्ता के प्रयोग के लिए पहाड़ों की चढ़ाई भी की और वे इन्हें ढोकर कहीं दूर भी ले गए। ऐसे में यही माना जा रहा है कि अपनी इन्हीं सीमित आदतों के कारण होमो इरेक्टस प्रजाति धीरे-धीरे लुप्त होते चली गई।