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नेपाल के पुराने नक्शे के साथ ओली ने दी दशहरे की बधाई, भारत के साथ संबंधों को दोबारा सामान्य बनाने की कोशिश

नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शुक्रवार को अपने देश के लोगों को विजयदशमी यानी दशहरे की बधाई दी थी। उन्होंने ट्विटर पर अपना बधाई संदेश पोस्ट किया जिसमें नेपाल के पुराने नक्शे का इस्तेमाल किया गया था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 06:32 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 06:32 AM (IST)
अपने बधाई संदेश के साथ नेपाल के पुराने नक्शे का इस्तेमाल किया है।

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने देश के लोगों को दशहरे की बधाई देने के साथ ही भारत के साथ खराब हुए संबंधों को सुधारने के संकेत भी दिए हैं। दरअसल, उन्होंने अपने बधाई संदेश के साथ नेपाल के पुराने नक्शे का इस्तेमाल किया है, नए का नहीं। नेपाल ने अपने नए नक्शे में भारत के तीन क्षेत्रों को अपने देश का हिस्सा बताया है।

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नेपाल की संसद ने इस साल जून में देश के नए नक्शे को मंजूरी दी थी। इसमें उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के तीन क्षेत्रों-कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। भारत ने नेपाल के इस कदम का विरोध किया था और उसके इस एकतरफा कार्रवाई को खारिज कर दिया था।

नेपाली प्रधानमंत्री ओली ने शुक्रवार को अपने देश के लोगों को विजयदशमी यानी दशहरे की बधाई दी थी। उन्होंने ट्विटर पर अपना बधाई संदेश पोस्ट किया, जिसमें नेपाल के पुराने नक्शे का इस्तेमाल किया गया था। ट्विटर के साथ ही फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जब लोगों ने पुराने नक्शे का मुद्दा उठाया तो ओली के दफ्तर ने उसे खारिज कर दिया गया। ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने कहा कि संदेश के साथ नया नक्शा ही है, लेकिन साइज छोटा होने के कारण वह ठीक से नजर नहीं आ रहा।

रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल ने नेपाली पीएम से की थी मुलाकात

बता दें कि भारतीय खुफिया खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल ने हाल ही में ओली से मुलाकात की थी। इसको लेकर भी नेपाल के विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाए थे। भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवाने भी अगले महीने नेपाल जाने वाले हैं। नक्शा विवाद के बाद भारत के किसी बड़े अधिकारी की यह पहली नेपाल यात्रा होगी।

गौरतलब है कि भारत और नेपाल के संबंधों में उस समय तनाव पैदा हो गया था, जब आठ मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रणनीतिक रूप से अहम उत्तराखंड के लिपुलेख और धारचुला के बीच 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था। नेपाल ने इसका विरोध किया था और दावा किया था कि सड़क उसके हिस्से से गुजरती है। उसके बाद नेपाल की तरफ से कई ऐसे काम किए, जिससे संबंधों में और खटास ही पैदा हुई।


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