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इसराइली मीडिया ने कहा, नेतन्याहू भ्रष्टाचार मामले में रतन टाटा ने दी गवाही

रिपोर्ट के अनुसार, नेतन्याहू को कथित तौर पर लाखों शेकेल (इसराइली मुद्रा) के महंगे उपहार दिए जाने के मामले में रतन टाटा ने पुलिस के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Mon, 06 Nov 2017 11:39 AM (IST)Updated: Mon, 06 Nov 2017 11:41 AM (IST)
इसराइली मीडिया ने कहा, नेतन्याहू भ्रष्टाचार मामले में रतन टाटा ने दी गवाही

यरुशलम, एजेंसी। इसराइली मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में इसराइली पुलिस के समक्ष गवाही दी है। हालांकि, टाटा के कार्यालय ने इन खबरों को 'तथ्यात्मक रूप से गलत' बताया है।

दो घंटे तक दर्ज कराया बयान

'द टाइम्स ऑफ इसराइल' की रिपोर्ट के अनुसार, नेतन्याहू को कथित तौर पर लाखों शेकेल (इसराइली मुद्रा) के महंगे उपहार दिए जाने के मामले में रतन टाटा ने पुलिस के समक्ष दो घंटे तक अपना बयान दर्ज कराया। हालांकि, इसराइल पुलिस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मिकी रोसेनफील्ड ने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। नेतन्याहू के खिलाफ इस मामले को 'केस 1000' नाम दिया गया है। इसमें इसराइल के उद्योगपति और हॉलीवुड निर्माता आर्नन मिल्कन का नाम भी लिया जा रहा है।

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'चैनल 10' की रिपोर्ट के मुताबिक, मिल्कन ने रतन टाटा से विचार-विमर्श करके नेतन्याहू को जॉर्डन--इसराइल सीमा के पास एक मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के लिए कहा था। हालांकि इस पर कभी अमल नहीं किया गया।



टाटा के कार्यालय ने एक ईमेल में इसराइली अधिकारियों के साथ उनकी मुलाकात का खंडन नहीं किया है। बयान में कहा गया है, 'नेतन्याहू का टाटा बेहद सम्मान करते हैं और उन्हें एक आदरणीय मित्र मानते हैं। ऐसे आरोप निराधार हैं और इनके पीछे कोई गहरी मंशा लगती है।'

इसराइल में 31 अक्टूबर और एक नवंबर को आयोजित स्मार्ट आवागमन व्यवस्था और ईधन के विकल्प पर आयोजित सम्मेलन से पहले इसराइली मीडिया के कुछ हलकों ने खबर प्रकाशित की थी कि सम्मेलन के दौरान टाटा देश में रहेंगे और जांच टीम इस मामले में उनसे पूछताछ कर सकती है। टाटा को यात्रा कार्यक्रम रद्द करने की सलाह दी गई थी, लेकिन वह योजना के अनुसार तेल अवीव में हुए सम्मेलन में शामिल हुए।

दो व्यक्ति एक नवंबर को दोपहर 3.30 बजे डेविड इंटरकांटीनेंटल में टाटा से मिले थे। संभवत: वे जांच एजेंसियों के लोग रहे हों। इस मुलाकात में उनकी ओर से कोई पहचान नहीं बताई गई। उन्होंने टाटा से पूछा था कि वह मिल्कन से कैसे मिले थे और उनका उनसे क्या व्यावसायिक संबंध है।

टाटा ने बताया कि मिल्कन से उनकी मुलाकात कैसे हुई थी और यह भी स्पष्ट किया कि 26/11 के आतंकी हमले के बाद टाटा समूह के होटलों के लिए अनुबंधित एक सुरक्षा सलाहकार कंपनी के ग्राहक के अलावा उनका कोई और संबंध नहीं था। बाद में टाटा समूह को बताया गया कि उस कंपनी के साथ मिल्कन के कुछ हित जुड़े हैं। टाटा से इसराइल में एक छोटा वाहन कारखाना लगाने की 2009 की योजना से जुड़ी घटनाओं को भी याद करने को कहा गया। टाटा ने स्पष्ट किया कि उन्हें इसराइल की सुरक्षा टीम की तरफ से एक परियोजना की अवधारणा तैयार करने में मदद मांगी गई थी, जो शांति पहल का हिस्सा हो सकती थी। उस परियोजना के लिए विस्तृत योजना तैयार कर ली गई थी, लेकिन उस पर काम शुरू नहीं हुआ।

अधिकारियों ने यह भी पूछा कि क्या नेतन्याहू इसमें संलिप्त थे। जवाब में टाटा ने कहा कि एक बार 10-15 मिनट की बैठक में नेतन्याहू उपस्थित थे जिसमें उन्होंने संयंत्र के लिए दो तरजीही स्थानों का सुझाव दिया था, लेकिन टाटा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी ऐसा नहीं कहा कि नेतन्याहू प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर परियोजना से जुड़े हुए थे या उन्हें उससे निजी फायदा था।

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