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चांदीपुर से सिंगापुर के सशस्त्र बलों के मिसाइल परीक्षण पर हुआ समझौता

हिंद-प्रशांत समुद्री जलमार्ग की हिफाजत के तहत पहला सिंगापुर-भारत-थाइलैंड समुद्री अभ्यास (सिटमेक्स) सितंबर में अंडमान सागर में हुआ था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 08:00 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 11:22 PM (IST)
चांदीपुर से सिंगापुर के सशस्त्र बलों के मिसाइल परीक्षण पर हुआ समझौता
चांदीपुर से सिंगापुर के सशस्त्र बलों के मिसाइल परीक्षण पर हुआ समझौता

सिंगापुर, प्रेट्र। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को सिंगापुर के अपने समकक्ष नग इंग हेन के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। बातचीत के दौरान दोनों नेता अगले साल से सिंगापुर, भारत और थाइलैंड की भागीदारी वाले त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास पर सहमत हुए।

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हिंद-प्रशांत समुद्री जलमार्ग की हिफाजत के तहत पहला सिंगापुर-भारत-थाइलैंड समुद्री अभ्यास (सिटमेक्स) सितंबर में अंडमान सागर में हुआ था। भारत-सिंगापुर के रक्षा मंत्रियों की चौथी वार्ता (डीएमडी) के समापन अवसर पर घोषणा करते हुए सिंह ने कहा, 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र हमारे लिए महत्वपूर्ण है और हम अपने 'सागर' (क्षेत्र में सबके लिए सुरक्षा और विकास) सिद्धांत के तहत क्षेत्र में अपनी समुद्री भागीदारी को आगे बढ़ाना चाहते हैं ।'

'सिटमेक्स' अभ्यास, संपर्क की समुद्री लाइन को खोलने और उनके बीच आवाजाही को मजबूत करने में साथ काम करने के लिए तीनों देशों की साझा जिम्मेदारी पर जोर देता है।

बैठक के बाद इंग हेन ने मीडिया से कहा कि भारत, सिंगापुर और थाइलैंड की नौसेना के बीच अभ्यास से समुद्री जलमार्ग की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और यह बहुत महत्वपूर्ण संकेत है।

बैठक में दोनों देशों के बीच ओडिशा में चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज के इस्तेमाल को लेकर आशय पत्र का आदान-प्रदान हुआ और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत (एचएडीआर) सहयोग प्रगाढ़ करने पर सहमति बनी। 

इसके तहत राजनाथ सिंह ने सिंगापुर को भारत में आगामी रक्षा औद्योगिक गलियारे में अनुसंधान, विकास और अभ्यास सुविधाओं में निवेश के लिए आमंत्रित किया। इंग हेन संयुक्त तालमेल के लिए अवसरों को तलाशने पर सहमत हुए ।

द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीदों को दी श्रदांजलि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह क्रांजी युद्ध स्मारक भी गए और वहां द्वितीय विश्व युद्ध में सिंगापुर और मलय की जापानी हमले से सुरक्षा करते हुए शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस लड़ाई में भारत, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, मलय, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड के जवान शहीद हुए थे।


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