अब दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश नहीं रहा भारत, जानें कौन है सबसे आगे
भारत अब हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश नहीं रहा है बल्कि अब सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बन गया है।
स्टॉकहोम, एएफपी। संघर्षरत देशों में बढ़ती मांग के मद्देनजर दुनियाभर में बड़े हथियारों के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। स्वीडन में शोधकर्ताओं ने सोमवार को कहा कि हथियारों के शीर्ष निर्यातक अमेरिका ने रूस पर अपनी बढ़त में और इजाफा कर लिया है। भारत को बिक्री घटने की वजह से रूस के हथियार निर्यात में 18 फीसद की कमी आई है। भारत अब हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश नहीं रहा है, बल्कि अब सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बन गया है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 से 2014 की अवधि के मुकाबले 2015 से 2019 की अवधि में अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्यात में 5.5 फीसद की वृद्धि हुई है। इस अवधि में फ्रांस के हथियार निर्यात में 72 फीसद की बढ़ोतरी हुई है और वह जर्मनी से आगे निकलकर विश्व में तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया है। वैश्विक निर्यात में फ्रांस की भागेदारी अब 7.9 फीसद हो गई है। फ्रांस अपने कुल निर्यात का आधे से अधिक मिस्त्र, कतर और भारत को करता है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के हथियार आयात में 32 फीसद और पाकिस्तान के हथियार आयात में 39 फीसद की कमी आई है।
सिपरी के वरिष्ठ शोधकर्ता पीटर वेजेमैन ने कहा, 'कुल मिलाकर हथियारों का ट्रांसफर बढ़ा है.. हथियार आयातक देशों में मांग उच्च स्तर पर है और लगता है कि इसमें थोड़ा इजाफा हुआ है।' अमेरिका से हथियारों के निर्यात में 23 फीसद की बढ़ोतरी हुई है और कुल वैश्विक हथियार निर्यात में उसका हिस्सा बढ़कर 36 फीसद हो गया है। 2015 और 2019 के बीच अमेरिका ने 96 देशों को बड़े हथियारों की आपूर्ति की थी। अमेरिकी हथियार निर्यात का आधा पश्चिम एशियाई देशों को किया गया और उसका आधा सिर्फ सऊदी अरब को किया गया। इस तरह सऊदी अरब बड़े हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बन गया है। 2010-2014 की अवधि के मुकाबले 2015-2019 की अवधि में सऊदी अरब के हथियार आयात में 130 फीसद की बढ़ोतरी हुई और बड़े हथियारों के वैश्विक हथियार आयात में उसकी हिस्सेदारी 12 फीसद हो गई है।
वेजेमैन ने कहा, तथ्य यह है सबसे ज्यादा भारी हथियार पश्चिम एशिया को निर्यात किए जा रहे हैं जो चिंताजनक है। यमन में सऊदी अरब के सैन्य हस्तक्षेप को लेकर ब्रिटेन और अमेरिका में बढ़ती चिंता के बावजूद दोनों देश सऊदी अरब को हथियारों का निर्यात जारी रखे हुए हैं।