भारत भेजा जा सकता है बहुचर्चित वीवीआइपी हेलीकॉप्टर घोटाले का बिचौलिया माइकल
माइकल के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए यूएई के न्याय मंत्री की मंजूरी आवश्यक होगी।
दुबई, प्रेट्र। देश के बहुचर्चित वीवीआइपी हेलीकॉप्टर घोटाले की जांच कर रही भारतीय एजेंसियों को सोमवार को बड़ी सफलता मिली। दुबई की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में वांछित बिचौलिए क्रिश्चियन माइकल को भारत भेजने की संभावना पर विचार करने का आदेश बरकरार रखा है। 3,600 करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर सौदे में माइकल पर अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 225 करोड़ रुपये की दलाली लेने का आरोप है। इस पर अभी भारत की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। ब्रिटिश नागरिक माइकल को यूएई में गिरफ्तार किया गया था, तब से वह दुबई की जेल में बंद है।
दुबई के सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रखा बरकरार
अखबार खलीज टाइम्स के मुताबिक दुबई के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निचली अदालत के फैसले के खिलाफ माइकल की याचिका खारिज कर दी। 2 सितंबर को दिए अपने आदेश में निचली अदालत ने कहा था कि माइकल का प्रत्यर्पण किया जा सकता है।
पांच जजों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए जज अब्देलअजीज अल जरूनी ने उपरोक्त फैसला सुनाया। इससे पहले, माइकल के वकील अब्दुल मोमिन ने अदालत में इटली और स्विटजरलैंड की अदालतों के फैसलों से संबंधित दस्तावेज पेश किए, जिसमें माइकल के प्रत्यर्पण से मना कर दिया गया था। वहां की अदालतों ने कहा था कि इस मामले में कोई आपराधिक तथ्य नहीं मिले हैं।
3,600 करोड़ के अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में वांछित है क्रिश्चियन माइकल
मोमिन ने सर्वोच्च अदालत में यह तर्क भी दिया कि माइकल के प्रत्यर्पण के लिए किए गए अनुरोध में उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है। माइकल का प्रत्यर्पण यूएई और भारत के बीच हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते का भी उल्लंघन होगा। वकील का तर्क था कि प्रत्यर्पण के लिए भारत के गृह मंत्रालय की तरफ से अनुरोध किया जाना चाहिए था, विदेश मंत्रालय की तरफ से नहीं। उसने निचली अदालत के आदेश को भी पलटने की मांग की।
लेकिन, दुबई की सर्वोच्च अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। अब माइकल के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए यूएई के न्याय मंत्री की मंजूरी आवश्यक होगी। अगस्ता वेस्टलैंड मामले की सीबीआइ और ईडी जांच कर रही हैं।