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पंजशीर में सालेह ने अपने सुरक्षा गार्ड को खिलाई कुरान की कसम, कहा- तालिबान के आगे सिर नहीं झुकाउंगा

सालेह ने लेख में लिखा है कि मैंने अपने चीफ गार्ड रहीम से कुरान पर हाथ रखने को कहा। लेख में आगे लिखा है कि मैंने उससे कहा कि हम पंजशीर जा रहे हैं। हम हार नहीं मानेंगे और जंग लड़ेंगे। अफगानिस्‍तान की सड़कें तालिबान के कब्जे में हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 07:44 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 07:44 PM (IST)
पंजशीर में सालेह ने अपने सुरक्षा गार्ड को खिलाई कुरान की कसम, कहा- तालिबान के आगे सिर नहीं झुकाउंगा
पंजशीर में सालेह ने अपने सुरक्षा गार्ड को खिलाई कुरान की कसम।

काबुल, एजेंसी। अफगानिस्‍तान के पंजशीर प्रांत में तालिबान और पंजशरी लड़ाकों के बीच जारी जंग अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ब्रिटेन के अखबार डेली मेल में अपने एक लेख में लिखा है कि वह खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति मानते हैं, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए हैं। उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना है कि जो नेता तालिबान के भय से देश छोड़कर गए हैं, उन्होंने देश को धोखा दिया है। सालेह ने कहा कि गत माह तालिबान ने जब काबुल पर कब्जा किया था, तब हमारे नेता उनसे लड़ने के बजाए अंडरग्राउंड हो गए।

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सालेह ने कहा, सरेंडर नहीं करूंगा, गोली मार देना

सालेह ने लेख में लिखा है कि मैंने अपने चीफ गार्ड रहीम से कुरान पर हाथ रखने को कहा। लेख में आगे लिखा है कि मैंने उससे कहा कि हम पंजशीर जा रहे हैं। हम हार नहीं मानेंगे और जंग लड़ेंगे। अफगानिस्‍तान की सड़कें तालिबान के कब्जे में हैं। उन्‍होंने लिखा है कि अगर में घायल हो जाऊं, तो मेरा तुमसे आग्रह है कि मेरे सिर में दो बार गोली मार देना। सालेह ने कहा कि मैं कभी भी तालिबान के सामने सरेंडर नहीं करूंगा। इसके बाद वह तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए पंजशीर पहुंचे और अब वहीं से तालिबान के खिलाफ जंग का नेतृत्व कर रहे हैं।

काबुल पुलिस प्रमुख की तारीफ की

सालेह लिखते हैं कि तालिबान और अफगान संघर्ष के बीच मैंने काबुल के पुलिस चीफ से बात की थी, वह बहुत बहादुर सैनिक हैं। उन्होंने मुझे बताया कि हम पूर्वी सीमा पर हार गए हैं। उन्‍होंने बताया कि दो और जिले तालिबान के कब्जे में हैं। उन्होंने कमांडोज को तैनात करने के लिए मुझसे मदद मांगी तब मैंने कहा कि उनके पास जितने भी सैनिक हैं, वह उनके साथ डटे रहें। मैं मुश्किल वक्त में फौज को नहीं जुटा पाया। सालेह ने लिखा है कि इंटेलीजेंस चीफ मेरे पास आए और बोले कि जहां आप जाएंगे मैं वहां चलूंगा। हम अपनी आखिरी लड़ाई साथ लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जो नेता विदेश के विला और होटलों में रह रहे हैं और गरीब अफगानों से लड़ने को कह रहे हैं। वह डरपोक हैं।

रक्षा मंत्री और सुरक्षा सलाहकार ने फोन नहीं उठाया

पूर्व उपराष्‍ट्रपति ने लिखा है कि जिस रात तालिबान काबुल तक पहुंचे, तब उन्हें वहां के पुलिस प्रमुख ने फोन कर बताया कि जेल में विद्रोह शुरू हो गया है। उन्‍होंने कहा पुलिस प्रमुख ने बताया कि तालिबानी कैदी भागने की फिराक में हैं। उस वक्‍त मैंने गैर-तालिबानी कैदियों का नेटवर्क तैयार कर इस विद्रोह के विरोध का आदेश दिया। सालेह ने लिखा है कि जेल में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अफगान स्पेशल फोर्सेज और मॉब कंट्रोल यूनिट को तैनात किया गया। उन्‍होंने 15 अगस्त की सुबह तत्कालीन रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब को फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। वह कमांडोज की तैनाती नहीं करवा पा रहे थे।

सालेह ने पत्नी और बेटियों की तस्वीरें नष्ट की

उन्‍होंने लिखा है कि जब अफगान सरकार से किसी तरह की मदद हासिल नहीं हुई तो मैंने अहमद मसूद को फोन लगाया। मैंने उनसे पूछा कि भाई तुम कहां हो। मसूद ने कहा कि मैं काबुल में हूं और अगले कदम की योजना बना रहा हूं। सालेह ने कहा मैंने जवाब दिया कि मैं भी काबुल में हूं और आपकी फोर्सिज के साथ जुड़ना चाहता हूं। सालेह काबुल छोड़ने से पहले अपने घर गए। सालेह ने अखबार में लिखा कि ‘फिर मैं अपने घर गया और अपनी पत्नी और बेटियों की तस्वीरें नष्ट की। मैंने अपना कंप्यूटर और बाकी का जरूरी सामान एकत्रित किया।


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