अगर आपके आसपास होता है धूम्रपान और आपकी उम्र है 20 साल, तो जरूर पढ़ें ये खबर
एक नए अध्ययन में आगाह किया गया है कि 20 साल की उम्र के बाद धूम्रपान करने वाले के साथ रहने से हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) का खतरा 15 फीसद तक बढ़ सकता है।
सिओल, एजेंसी। इस आधुनिक दुनिया में हर प्रकार के लोग हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग लाइफस्टाइल है। लेकिन बात धूम्रपान की हो, जो आज की दुनिया में अधिकतर हर किसी की लाइफस्टाइल में मौजूद है। अक्सर धूम्रपान को लेकर कई अध्ययन सामने आते रहे है, ऐसा ही एक अध्ययन अब सामने आया है कि जिसमें बताया गया कि दूसरों के धूम्रपान से भी बढ़ सकता है बीपी का खतरा। यह पहले से जाहिर है कि धूम्रपान से ना सिर्फ इसका सेवन करने वाले लोगों बल्कि इसकी जद में रहने वालों को भी नुकसान पहुंचता है।
एक नए अध्ययन में आगाह किया गया है कि 20 साल की उम्र के बाद धूम्रपान करने वाले के साथ रहने से हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) का खतरा 15 फीसद तक बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि धुएं के वातावरण से बचने से हाइपरटेंशन का खतरा कम हो सकता है। बता दें कि हाई ब्लड प्रेशर का ही दूसरा नाम हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) है और हाइपरटेंशन एक साइलेंट किलर है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, घर या कार्यस्थल पर धूम्रपान का संबंध उच्च रक्तचाप के खतरे में 13 फीसदी वृद्धि से पाया गया है। दूसरों के धूम्रपान की जद में दस साल या इससे ज्यादा समय तक रहने वाले पुरष और महिला समान रूप से प्रभावित पाए गए। दक्षिण कोरिया की सुंगक्यूनक्वान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ब्यूंग जिन किम ने कहा, 'धूम्रपान नहीं करने वालों पर हमारे अध्ययन से जाहिर होता है कि लंबे समय तक दूसरों के धूम्रपान की जद में रहने से उच्च रक्तचाप का खतरा ब़़ढ सकता है।'
निष्क्रिय धूम्रपान
निष्क्रिय धूम्रपान से भी 13 फीसदी हाइपरटेंशन का खतरा बढ़ जाता है। बता दें कि निष्क्रिय धूम्रपान एक तरह का सेकेंडहैंड धूम्रपान है। निष्क्रिय धूम्रपान समान रूप से हानिकारक है और 10 प्रतिशत मौतों का प्रमुख कारण है। किसी अन्य व्यक्ति के सिगरेट पीते समय आपका श्वास लेना निष्क्रिय धूम्रपान या सेकंड हैण्ड स्मोकिंग कहलाता है। यह आपके फेफड़ों के कैंसर और कोरोनरी हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ाता है। यह बच्चों के लिए विशेष हानिकारक है। सेकंड हैण्ड स्मोक की चपेट से बच्चों को कोट डेथ (सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम या एसआईडीएस), अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया, मैनिंजाइटिस (मस्तिष्क ज्वर), कान के मध्य हिस्से के रोग जैसे ओटिटिस मीडिया और श्रवण शक्ति की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है।
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