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बजट पारित नहीं हुआ तो फिर चुनाव में जाएगा इजरायल, समय सीमा बढ़ा सकती संसद

इजरायल में कोरोना संक्रमण बढ़ने से अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है और विरोध प्रदर्शन की नई लहर चल पड़ी है। ऐसे में असहमति और विश्वास की भारी कमी से जूझ रहे गठबंधन के पास वक्त कम है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 06:59 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 06:59 PM (IST)
बजट पारित नहीं हुआ तो फिर चुनाव में जाएगा इजरायल, समय सीमा बढ़ा सकती संसद

यरुशलम, एपी। क्या इजरायल को एक और चुनाव से गुजरना पड़ेगा? दरअसल, वैश्विक महामारी की चुनौती के बीच देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके प्रतिद्वंद्वी बेनी गेंट्ज ने हाथ तो मिला लिया लेकिन सौ दिनों के अंदर ही झगड़ालू गठबंधन का भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा है। वैसे भी यह मजबूरी की दोस्ती है, क्योंकि तीन चुनावों के बाद भी किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था।

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इजरायल में कोरोना संक्रमण बढ़ने से अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है और विरोध प्रदर्शन की नई लहर चल पड़ी है। ऐसे में तमाम असहमति और विश्वास की भारी कमी से जूझ रहे इस असहज गठबंधन के पास दो हफ्ते का वक्त है। इस दौरान या तो वे बजट पर सहमति बना लें या फिर देश को चौथे चुनाव में धकेल दें।

बजट को लेकर मतभेद इतने बढ़ चुके हैं कि इस हफ्ते की कैबिनेट बैठक रद करनी पड़ी। संभावना है कि गुरुवार को संसद 25 अगस्त की समय सीमा को बढ़ाने की मंजूरी दे दे ताकि बजट को लेकर गठबंधन दलों को समझौते के लिए थोड़ा वक्त मिल जाए। समय सीमा के अंदर बजट पारित नहीं हुआ तो स्वाभाविक रूप से चुनाव की घोषणा हो जाएगी।

एक राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि चुनाव अभी भले ही टल जाए, लेकिन यह कुछ समय की ही बात है। अगले दो महीने में कोई नया बहाना ढूंढ लिया जाएगा और हम एक बार फिर खुद को गहरे संकट में घिरा पाएंगे।

हालांकि, नेतन्याहू ने कहा कि वह धमकी की भाषा इस्तेमाल नहीं करते। मुझे लगता है कि हमें तुरंत बजट पास करना चाहिए। यह हमारी जरूरतों और सुरक्षा के लिए जरूरी है। गेंट्ज भी कुछ ऐसा ही कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिसे भी इजरायल से प्यार होगा, वो इस समय देश को चुनाव में नहीं ले जाएगा।

आलोचकों का मानना है कि नेतन्याहू का पूरा ध्यान फिलहाल उनके खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर है। वे चाहते हैं कि सुनवाई के दौरान वे अपने पद पर बने रहें। दूसरी तरफ, कोरोना से निपटने और अर्थव्यवस्था को संभालने में उनकी नाकामी को लेकर उनके प्रति समर्थन लगातार कम हो रहा है। आए दिन प्रदर्शन भी रहे हैं।

वहीं, नेतन्याहू के विरोधी मानते हैं कि वे खुद चाहते हैं कि संकट बढ़े और नए सिरे से चुनाव हो। लोकप्रियता में कमी के बावजूद अभी भी उनकी पार्टी की बाकी दलों पर थोड़ी बढ़त मानी जा रही है।


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