जानिए!! किस तरह एक भारतीय महिला की मौत से आयरलैंड में होने जा रहा ऐतिहासिक बदलाव
आयरलैंड में एक भारतीय महिला के असमय मौत के कारण वहां सालों से चले आ रहे धार्मिक और पारंपरिक कानून में एक ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है।
नई दिल्ली (एएनआई)। आयरलैंड के 35 साल पुराने संविधान में एक बड़ा संशोधन होने जा रहा है और इसकी वजह बनी है एक भारतीय महिला। संविधान में संशोधन के लिए आयरलैंड के लोगो के बीच वोटिंग करवाई गई थी। जिसके बाद संविधान में बदलाव के संकेत मिलने पर हजारों लोग इस बात का जश्न मना रहे हैं। दरअसल अब वहां अबॉर्शन को कानूनी मान्यता मिल सकती है। इसके लिए 69 फीसद मतदाताओं ने वोट किया था। लोग इसे बड़े बदलाव की तरह देख रहे हैं। जानते हैं आखिर क्या था मामला-
सालों से धार्मिक और पारंपरिक कानून पर चलते आ रहे इस देश के लिए ये एक ऐतिहासिक क्षण है। और ये ऐतिहासिक बदलाव एक भारतीय महिला के असमय मौत के कारण हो रहा है। दरअसल कर्नाटक की एक महिला को छह साल पहले यहां अबॉर्शन करने से मना कर दिया गया था जिसके बाद उसकी गंभीर हालत में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद आयरलैंड में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया और कानून को बदलने की मांग की गई थी।
2012 में 31 वर्षीय कर्नाटक की सविता हलप्पनवर आयरलैंड के सबस खूबसूरत शहर गाल्वे में अपने पति प्रवीण के साथ रहती थी। वह पेशे से एक डेंटिस्ट थी। अक्टूबर 2012 में चार महीने की गर्भवती होने पर सविता को यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल गाल्वे में भर्ती कराया गया। लेकिन उसी दिन डॉक्टर ने उसे ये कहकर हॉस्पीटल से डिस्चार्ज कर दिया कि उसका गर्भपात होने वाला और उसकी हालत अत्यंत खराब है। ये जानने के बाद सविता ने डॉक्टरों से अबॉर्शन करने के लिए कहा ताकि वह अपनी जान सुरक्षित बचा सके।
डॉक्टरों ने सविता की बात को ना मानते हुए कहा कि आप यहां अबॉर्शन नहीं करवा सकते हैं क्योंकि ये एक कैथोलिक देश है और अबॉर्शन यहां के कानून में नहीं है। इसके बाद उसकी पत्नी ने कई बार डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाया लेकिन वहां के कानून के सामने उसकी एक नहीं सुनी गई। अंत में करीब एक सप्ताह तक जूझने के बाद गंभीर पीड़ा से सविता की मौत हो गई।
सविता की असमय मौत ने आयरलैंड में बड़े पैमाने पर विद्रोह को जन्म दे दिया। हजारों लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए और कैथोलिक चर्च के प्रतिनिधि के खिलाफ नारे लगाए। उनका कहना था कि चर्च इस बात का निर्णय नहीं कर सकता कि एक अजन्मे बच्चे के जीने का अधिकार एक महिला की जिंदगी से बढ़कर है।
जांच के बाद नियम कानून में कई तरह की खामियों के बारे में पता चला जिसके बाद लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए और संविधान में संशोधन करने की मांग की। कहा गया कि किसी गर्भवती महिला के जान का खतरा होने पर उसे अबॉर्शन की अनुमति दे दी जाए। लोगों ने सविता के पोस्टर के साथ प्रदर्शन किया। सविता के पिता अनदानप्पा यालागी ने एक वीडियो जारी कर मतदाताओं से कहा कि वोट देते समय वे सविता को याद करें। और आज आयरलैंड में एक भारतीय महिला की जान के बदले लोगों को एक नई सौगात मिलने जा रही है औऱ इसके लिए सभी उस महिला को याद कर रहे हैं।