अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और अब्दुल्ला के बीच ऐतिहासिक समझौता, भारत ने किया स्वागत
अब्दुल्ला ने सितंबर में चुनाव के परिणामों पर विरोध जताते हुए साल की शुरुआत में समानांतर सरकार बनाने की घोषणा की थी।
काबुल, रायटर। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। गनी के प्रवक्ता ने कहा कि यह एक ऐसा कदम है जिससे देश के लंबे समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के प्रयास किए जा सकते हैं।
अब्दुल्ला ने सितंबर में चुनाव के परिणामों पर विरोध जताते हुए साल की शुरुआत में समानांतर सरकार बनाने की घोषणा की थी। गनी ने इस मौके पर कहा, 'अफगानिस्तान के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है।'
वित्त या विदेश मंत्रालय जैसा प्रमुख पोर्टफोलियो चाहते थे अब्दुल्ला
सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच दिन भर कुछ प्रमुख विभागों को लेकर लंबी चर्चा हुई। अब्दुल्ला वित्त या विदेश मंत्रालय जैसा प्रमुख पोर्टफोलियो चाहते थे, जबकि गनी इसके लिए सहमत नहीं थे। समझौते पर हस्ताक्षर से कुछ समय पहले सूत्रों ने कहा कि वह गृह मंत्रालय की पेशकश कर सकते हैं।
मार्च में अमेरिकी माइक पोंपियो ने मध्यस्थता कराने के लिए काबुल की यात्रा की थी, लेकिन दोनों के बीच बढ़ते गतिरोध से अमेरिका निराश था। गतिरोध के चलते ही अमेरिका ने अमेरिका एक बिलियन डॉलर (करीब 7587 करोड़ रुपये) की सहायता पर रोक लगा दी थी। पोंपियो ने समझौते का स्वागत किया, लेकिन इतना अधिक समय लेने के लिए घनी और अब्दुल्ला की निंदा की।
भारत ने किया समझौते का स्वागत
भारत ने अफगानिस्तान में राष्ट्रपति गनी और अब्दुल्ला अब्दुल्ला के बीच हुए समझौते का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे वहां शांति और स्थिरता के लिए किए जा रहे प्रयासों को बल मिलेगा।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अब अफगानिस्तान में इस पहल से राजनीतिक समझौते और राष्ट्रीय सुलह से जुड़ी उच्च परिषद के निर्माण के बाद अब शांति और स्थिरता स्थापित करने और बाहरी रूप से प्रायोजित आतंकवाद व हिंसा को समाप्त करने के लिए नए सिरे से प्रयास किए जाएंगे।