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खुश रहने वाले बुजुर्गों से जुड़े हैं लंबी जिंदगी के तार, इससे वे जी सकेंगे लंबा जीवन

खुशी बूढ़े लोगों की उम्र बढ़ा सकती है। यह कहना है वैज्ञानिकों का। एक अध्ययन के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 03:36 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 03:48 PM (IST)
खुश रहने वाले बुजुर्गों से जुड़े हैं लंबी जिंदगी के तार, इससे वे जी सकेंगे लंबा जीवन
खुश रहने वाले बुजुर्गों से जुड़े हैं लंबी जिंदगी के तार, इससे वे जी सकेंगे लंबा जीवन

सिंगापुर [प्रेट्र]। खुशी बूढ़े लोगों की उम्र बढ़ा सकती है। यह कहना है वैज्ञानिकों का। एक अध्ययन के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं। अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के दल में एक भारतीय भी शामिल हैं। ऐज एंड ऐजिंग नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में 4,478 लोगों के डाटा का विश्लेषण किया गया है। वर्ष 2009 में किए गए सर्वे में जाना गया था कि ये लोग कितना खुशहाल जीवन जी रहे थे। 31 दिसंबर, 2015 तक विभिन्न कारणों से मरने वालों के आधार पर उम्र और खुशी के बीच संबंध को देखा गया। अध्ययन में सिंगापुर में रहने वाले 60 वर्ष या अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया था।

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अध्ययन में सामने आया कि 31 दिसंबर, 2015 तक मरने वालों में खुश रहने वालों की संख्या 15 फीसद थी। वहीं, नाखुश रहने वाले 20 फीसद प्रतिभागियों की मृत्यु इस समय तक हो गई थी। अध्ययन यह भी बताता है कि हैप्पीनेस स्कोर में एक अंक की बढ़ोतरी से किसी भी कारण से जल्द मृत्यु की आशंका नौ फीसद तक कम हो जाती है। इसके अलावा खुश रहने वाले लोगों में किसी भी कारण से जल्द मृत्यु की आशंका नाखुश रहने वालों की तुलना में 19 फीसद कम होती है।

खुशी को बढ़ने दो

सिंगापुर स्थित ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल में सहायक प्रोफेसर राहुल मल्होत्रा कहते हैं कि खुशी में थोड़ा सा भी इजाफा बुजुर्गों की उम्र बढ़ाने में मदद करता है। खुश रहने के लिए व्यक्तिगत प्रयास के अलावा, सरकारी नीतियां और योजनाएं इस प्रकार बनाई जानी चाहिए, जिससे बुजुर्गों की खुशी बरकरार रखने के साथ उसमें वृद्धि भी हो सके। इससे वे लंबा जीवन जी सकेंगे।

इस तरह किया अध्ययन

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से कुछ सवालों के आधार पर उनके बीते सप्ताह के अनुभव को जाना। इसमें उन्होंने बताया, ‘मैंने खुद को खुश महसूस किया’ या ‘मैंने जीवन का आनंद लिया’ या ‘मुझे उम्मीद है कि भविष्य में मैं खुश रहूंगा।’ प्रतिभागियों की इन प्रतिक्रियाओं के आधार पर दो तरह से उनकी खुशी का स्तर जाना गया। पहला हैप्पीनेस स्कोर और दूसरा बाइनरी हैप्पीनेस वैरिएबलहैप्पी/अनहैप्पी। विश्लेषण में व्यापक स्तर पर जनसांख्यिकी, जीवनशैली, स्वास्थ्य और सामाजिक कारकों का भी विश्लेषण किया गया। 


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