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ग्वाटेमाला भी यरुशलम ले जाएगा अपना दूतावास

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूतावास स्थानांतरित करने के फैसले का दुनिया भर में विरोध हुआ है। ग्वाटेमाला अकेला देश है जिसने अमेरिका के कदम का समर्थन करते हुए अपना दूतावास यरुशलम ले जाने का फैसला किया है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Mon, 25 Dec 2017 06:01 PM (IST)Updated: Mon, 25 Dec 2017 06:01 PM (IST)
ग्वाटेमाला भी यरुशलम ले जाएगा अपना दूतावास
ग्वाटेमाला भी यरुशलम ले जाएगा अपना दूतावास

यरुशलम, रायटर : अमेरिका का अनुसरण करते हुए ग्वाटेमाला ने भी इजरायल का अपना दूतावास यरुशलम में स्थानांतरित करने का फैसला किया है। इजरायल ने ग्वाटेमाला के इस फैसले पर खुशी जताई है और वहां के राष्ट्रपति जिमी मोरेल्स के प्रति आभार जताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूतावास स्थानांतरित करने के फैसले का दुनिया भर में विरोध हुआ है। ग्वाटेमाला अकेला देश है जिसने अमेरिका के कदम का समर्थन करते हुए अपना दूतावास यरुशलम ले जाने का फैसला किया है।

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ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति मोरेल्स ने फेसबुक के जरिये बताया कि उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से विचार-विमर्श के बाद दूतावास स्थानांतरित करने का फैसला किया है। फिलहाल ग्वाटेमाला का दूतावास भी इजरायल की मौजूदा राजधानी तेल अवीव में है। जवाब में इजरायली संसद के अध्यक्ष यूली एडेलस्टीन ने राष्ट्रपति मोरेल्स के साहसी फैसले की सराहना की है। कहा है कि आपने साबित कर दिया है कि ग्वाटेमाला इजरायल का सच्चा दोस्त है। ग्वाटेमाला में इजरायल के राजदूत मैटी कोहेन ने रेडियो पर दिए संदेश में कहा है कि दूतावास के स्थानांतरण के लिए अभी कोई तारीख निश्चित नहीं की गई है। लेकिन ग्वाटेमाला स्थानांतरण का कदम तभी उठाएगा जब अमेरिकी दूतावास तेल अवीव से यरुशलम स्थानांतरित हो जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र में भी किया था समर्थन

संयुक्त राष्ट्र महासभा में यरुशलम की स्थिति को लेकर पेश प्रस्ताव का ग्वाटेमाला और उसके पड़ोसी देश होंडूरास ने ही अमेरिका का साथ दिया है। कुल 193 देशों वाली इस महासभा में 128 देशों ने ट्रंप के फैसले से असहमति जताई है। असहमति जताने वाले देशों में ब्रिटेन, जापान और फ्रांस जैसे अमेरिका के मित्र राष्ट्र भी शामिल हैं। ग्वाटेमाला और होंडूरास अमेरिकी सहायता पाने वाले प्रमुख देश हैं। अमेरिकी सहायता पाने वाले जिन प्रमुख देशों ने ट्रंप के फैसले का विरोध किया है, अमेरिका ने उनकी सहायता कम करने की चेतावनी दी है।


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