Supercomputer जो गणना 10 हजार साल में करेगा, Quantum Computer ने उसे सिर्फ 200 सेकंड में किया पूरा
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आधारित टेक्नोलॉजी को भी इसकी मदद से नई ऊंचाई मिलेगी। इनकी सहायता से बेहद दक्ष सोलर पैनल भी बनाए जा सकेंगे।
पेरिस, एएफपी। असंभव सी लगने वाली गति से गणनाओं को अंजाम देने वाले सुपर कंप्यूटर के बारे में सोचना भी रोमांच से भर देता है। ऐसे में अगर कहा जाए कि वैज्ञानिकों ने सुपर कंप्यूटर से भी लाखों गुना तेज काम करने वाला कंप्यूटर तैयार कर दिया है, तो इस पर विश्वास करना मुश्किल होगा। दिग्गज टेक्नोलॉजी फर्म गूगल के वैज्ञानिकों ने साइकामोर नाम से ऐसी मशीन तैयार की है, जो असंभव सी लगने वाली गति से गणनाएं करने में सक्षम है। यह मशीन क्वांटम कंप्यूटिंग के सिद्धांत पर काम करती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह क्वांटम कंप्यूटर एक सेकंड में 20,000 लाख करोड़ गणनाएं कर सकता है। प्रयोग के दौरान इस कंप्यूटर ने 200 सेकंड में उस गणना को अंजाम दे दिया, जिसे अंजाम देने में पारंपरिक सुपर कंप्यूटर को 10,000 साल का वक्त लग जाएगा। देखने में यह मशीन एक फ्लिप फोन जैसी है।
कैसे करता है काम?
सामान्य कंप्यूटर बाइनरी सिस्टम पर काम करते हैं। यानी ऐसे कंप्यूटर में हर तरह का डाटा शून्य और एक के छोटे टुकड़ों में आगे बढ़ता है। इस छोटे टुकड़े को बिट कहा जाता है। एक बार में केवल एक बिट ही आगे बढ़ता है। वहीं, क्वांटम कंप्यूटर में शून्य और एक दोनों को साथ-साथ आगे बढ़ाया जा सकता है। क्वांटम कंप्यूटर में डाटा के इस सबसे छोटे टुकड़े को क्यूबिट कहा जाता है। एक साथ शून्य और एक को लेकर चलने की क्यूबिट की खूबी ही क्वांटम कंप्यूटर की गति को लाखों गुना बढ़ा देती है। फिलहाल वैज्ञानिकों ने जो क्वांटम कंप्यूटर बनाने का दावा किया है, उसका प्रोसेसर 54 क्यूबिट का है।
पहला हवाई जहाज बनने जैसी है यह उपलब्धि
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कंप्यूटर शोधकर्ता विलियम ओलिवर ने कहा कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। 20वीं सदी की शुरुआत में जैसे राइट ब्रदर्स ने पहला हवाई जहाज बनाया था, यह काफी कुछ वैसा ही है। उनके उस हवाई जहाज से तब किसी समस्या का हल नहीं निकला था, ना ही उसमें बैठकर कोई कहीं जा सकता था। इसके बावजूद वह उपलब्धि इसलिए बड़ी थी, क्योंकि उसने एक संभावना को साकार किया था। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी इस उपलब्धि के लिए अपनी टीम की तारीफ की।
क्या होगा फायदा?
कंप्यूटर की तेज गति कई मामलों में बहुत मददगार साबित हो सकती है। विशेषतौर पर नई दवाओं की खोज में इसका विशेष लाभ उठाया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आधारित टेक्नोलॉजी को भी इसकी मदद से नई ऊंचाई मिलेगी। इनकी सहायता से बेहद दक्ष सोलर पैनल भी बनाए जा सकेंगे। वित्तीय लेनदेन में भी इनकी तेजी का खासा फायदा हो सकेगा।
दावे पर उठ रहे सवाल
गूगल के इस दावे पर सवाल उठने लगे हैं। पिछले महीने गूगल लैब का ड्रॉफ्ट ऑनलाइन लीक हो गया था। इसके आधार पर आइबीएम का कहना है कि साइकामोर की खूबियों को बढ़ा- चढ़ाकर बताया जा रहा है। आइबीएम के वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस गणना में सामान्य सुपर कंप्यूटर को 10,000 साल लगने की बात कही जा रही है, उसमें करीब ढाई साल ही लगेगा। उन्होंने कहा, ‘क्वांटम सुप्रीमेसी का अर्थ है क्वांटम कंप्यूटर वह काम कर सके, जो सामान्य सुपर कंप्यूटर नहीं कर सकते हैं। साइकामोर इस पैमाने पर खरा नहीं है।’ आइबीएम के वैज्ञानिक भी क्वांटम कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं।