वैज्ञानिकों का दावा- मंगल ग्रह पर पहली बार प्राचीन झीलों के भूगर्भीय प्रमाण मिले
पिछले साल यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस मिशन ने लाल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव में सतह के नीचे पानी का पता लगाया था।<
जेनेवा, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने पहली बार मंगल ग्रह पर प्राचीन झीलों के भूगर्भीय प्रमाण जुटाए हैं। झीलों का यह जाल लाल ग्रह की सतह से कई मीटर नीचे था। नीदरलैंड स्थित यूट्रेच यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसके लिए मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में जमीन से करीब 4000 मीटर नीचे स्थित 24 क्रेटरों (गड्ढे) का विश्लेषण किया था।
अध्ययन के दौरान उन्हें पांच क्रेटरों पर जीवन के विकास के लिए जरूरी खनिज मसलन कार्बोनेट व सिलिकेट आदि के संकेत भी मिले हैं। इसके बाद मंगल पर जीवन की संभावना होने की उम्मीद को और बल मिला है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रांसेसो सलेसी ने कहा, 'मंगल निर्जन ग्रह जैसा लगता है।
हालांकि उसकी सतह पर कई ऐसे संकेत मौजूद हैं, जिससे पता चलता है कि प्राचीन समय में वहां पानी था।' पिछले साल यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस मिशन ने लाल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव में सतह के नीचे पानी का पता लगाया था।
जल प्रणाली बनने की प्रक्रिया पर सलेसी ने कहा, 'शायद, जलवायु परिवर्तन के कारण मंगल ग्रह का सारा जल सतह के भीतर चला गया था।' शोध के दौरान क्रेटर के किनारों पर पानी के निशान और भूमिगत जल से बनी घाटियों के सुबूत मिले हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना पानी के इस तरह के निशान का बनना नामुमकिन है। उनका यह भी अनुमान है कि झीलों का जल स्तर तीन या चार अरब साल पहले ग्रह पर मौजूद महासागर के तल के बराबर ही था।
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) के दमित्री टिटोव के अनुसार, 'इस तरह की खोज आने वाले मंगल मिशन जैसे कि 'एक्सोमार्स' आदि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ईएसए और रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस साझे तौर पर एक्सोमार्स लांच करने वाले हैं।