बिना बांह के जन्मते बच्चों पर फ्रांस ने शुरू की व्यापक जांच
1950 और 1960 के दशक में दुनियाभर में ऐसे हजारों बच्चों के जन्म लेने के मामले सामने आए थे, जिनकी बाहें अविकसित या अल्प-विकसित थीं।
पेरिस, एएफपी। फ्रांस ने बिना बांह के या विकृत बांह वाले बच्चों के जन्म को लेकर देशव्यापी जांच शुरू की है। पब्लिक हेल्थ फ्रांस के प्रमुख फ्रांस्वा बॉर्दीलोन ने बुधवार को कहा कि अलग-अलग कई क्षेत्रों से इस तरह के मामले सामने आने के बाद जांच का फैसला किया गया है।
इसी हफ्ते सामने आए हैं 2000 से 2014 के बीच के 11 नए मामले
बॉर्दीलोन ने बताया कि जांच चल रही है और तीन महीने में नतीजा सामने आने की उम्मीद है। पिछले 15 साल में ब्रिटनी, लॉइर-एटलांटिक और एन में 25 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं। फ्रांसीसी मीडिया में इससे जुड़ी खबरों को बहुत प्राथमिकता मिली है और लोगों के बीच भी ऐसे मामले चिंता का विषय बन गए हैं। सोमवार की शाम स्वास्थ्य अधिकारियों ने 2000 से 2014 के बीच स्विट्जरलैंड सीमा के निकट एन में 11 और ऐसे मामलों की जानकारी दी थी।
नवजात बच्चों में इस विकार को लेकर अब तक कोई कारण सामने नहीं आया है। कुछ अध्ययनों में यह जानने का प्रयास किया गया है कि ऐसे बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं के खानपान में कोई समानता थी या नहीं। कुछ पर्यावरणविद इसके लिए खेतों में प्रयोग होने वाले पेस्टिसाइड्स को जिम्मेदार मानते हैं। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है। माना जा रहा है कि यह विकार जेनेटिक भी हो सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री एग्नेस बुजिन ने कहा, 'हम यह कहकर छुट्टी नहीं पा सकते कि इसका कारण नहीं पता चला। यह अस्वीकार्य है। कारण का पता लगाना होगा।'
1950 और 1960 के दशक में दुनियाभर में ऐसे हजारों बच्चों के जन्म लेने के मामले सामने आए थे, जिनकी बाहें अविकसित या अल्प-विकसित थीं। उस समय जांच के बाद पाया गया था कि यह विकार गर्भवती महिलाओं में उल्टी रोकने के लिए प्रयोग होने वाली दवा थैलिडोमाइड के कारण पैदा हुआ था। उसी समय इस दवा को प्रतिबंधित कर दिया गया था।