बैन हैं चेहरा ढकने वाले परिधान, हिजाब के कारण पहली महिला पर जुर्माना
डेनमार्क में नकाब और बुर्का समेत चेहरा ढंकने वाले सभी परिधानों के पहनने पर घोषित कानूनी प्रतिबंध बुधवार से लागू कर दिया गया।
डेनमार्क (एएफपी)। डेनमार्क में शुक्रवार को 28 वर्षीय महिला को हिजाब पहनने के कारण जुर्माना भरना पड़ा। दरअसल, नए कानून के अनुसार वहां सार्वजनिक स्थानों पर पूरा चेहरा ढकने या हिजाब पहनने पर पाबंदी है।
जानें पूरा मामला
पुलिस ड्यूटी ऑफिसर डेविड बोर्चरसन ने रिट्जाउ न्यूज एजेंसी को बताया, ‘नॉर्ड्सजेलैंड के पूर्वी क्षेत्र के होरशोम स्थित शॉपिंग सेंटर में नकाब पहने महिला और एक अन्य महिला के बीच हाथापाई हुई, जिसने उसका हिजाब खींचने की कोशिश की थी। हालांकि उस वक्त हिजाब गिर गया था, लेकिन जब तक पुलिस मौके पर पहुंची उसने दोबारा हिजाब पहन लिया था।' पुलिस ने नकाब पहनी महिला की तस्वीर ली और शॉपिंग सेंटर से सिक्योरिटी कैमरा का फुटेज भी लिया। महिला को बताया गया कि उसे 1,000 क्रोनर का जुर्माना भरना पड़ेगा या फिर हिजाब हटाना होगा या सार्वजनिक जगह को छोड़ना होगा। महिला ने अंतिम विकल्प चुना।
1 अगस्त से लागू हुआ है नया कानून
1 अगस्त से लागू किए गए कानून के अनुसार, सार्वजनिक जगहों पर ऐसे परिधान पर प्रतिबंध लगाया गया जिसमें पूरा चेहरा ढका हुआ हो और केवल आंखें दिखें। इसका उल्लंघन करने वाले पर एक हजार क्रोनर (10,723 रुपये) का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि कोई बार-बार इस नियम का उल्लंघन करता है तो उस पर पहली बार के मुकाबले 10 गुना अधिक जुर्माना लगाया जाएगा या छह महीने तक जेल की सजा होगी। जबकि किसी को बुर्का पहनने के लिए मजबूर करने वाले को जुर्माना या दो साल तक जेल हो सकती है।
समर्थकों व विरोधियों के बीच तीखी बहस
बता दें कि इस पाबंदी में मुस्लिम महिलाओं को अलग से कोई जिक्र नहीं किया गया है। इसको लेकर यहां इस कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच तीखी बहस भी हुई। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह प्रतिबंध महिला के अधिकारों का हनन है, वहीं इस कानून के समर्थकों का कहना है कि डेनमार्क में अप्रवासी मुस्लिमों पर भी ये कानून लागू होंगे।
यह कानून लागू किए जाने के बाद, डेनमार्क में सत्तारूढ़ उदारवादी पार्टी वेंस्त्रे के मार्कस नुथ ने कहा, कुछ रुढ़िवादी महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले लिबास बहुत दमनकारी हैं। जबकि पार्टी रिबेल्स कार्यकर्ता समूह की शाशा एंडरसन ने कहा कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ एक भेदभावपूर्ण कदम है। शाशा ने कहा कि वह इस कदम के खिलाफ प्रदर्शन करने की योजना बना रही हैं। इस पाबंदी का समर्थन करने वाला समूह भी रैली करने की योजना बना रहा है। बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रिया ने भी चेहरा ढकने वाले परिधानों पर प्रतिबंध लगाया है।