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कभी सुना है मारबुर्ग वायरस का नाम, चपेट में आए 90 फीसदी लोगों की हुई है मौत

कोरोना वायरस कोई पहला ऐसा वायरस नहीं है जिसकी वजह से पूरी दुनिया चिंता में है। इससे पहले इससे भी खतरनाक वायरस फैले हैं जिसका शिकार हुए 90 फीसदी लोगों की मौत हुई है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 03:59 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 03:59 PM (IST)
कभी सुना है मारबुर्ग वायरस का नाम, चपेट में आए 90 फीसदी लोगों की हुई है मौत

नई दिल्ली। इन दिनों दुनियाभर में कोरोना वायरस के नाम से ही लोग परेशान है। कुछ देश तो इसकी त्रासदी भी झेल रहे हैं। अच्छे खासे दौड़ते-भागते शहर इन दिनों ठहर से गए हैं। हमेशा लाखों लोगों से रोशन रहने वाली सड़कें और अन्य स्पॉट खाली पड़े हैं। लोग अपने घरों में दुबके बैठे हैं। ऐसे में जंगली जानवर जंगल से निकलकर सड़क पर आ गए हैं, आलम ये हो गया है कि कई शहरों में जंगली जानवर सड़कों पर घूमते टहलते देखे जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस ही सबसे खतरनाक और जानलेवा है।

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इसके अलावा भी कई अन्य वायरस है जिनके नाम शायद ही लोगों ने सुने हैं। कुछ वायरस तो बीते एक दशक पहले ही सामने आये थे जिसके बारे में लोगों को पता है मगर कई वायरस ऐसे भी हैं जो कोरोना से कहीं अधिक खतरनाक हैं मगर उनके बारे में अब तक न तो लोगों ने सुना है ना ही उनको इसके बारे में जानकारी है। हम आपको इस खबर के माध्यम से कुछ ऐसे ही वायरसों के बारे में बता रहे हैं।

मारबुर्ग वायरस

इसे दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस कहा जाता है। अब सवाल ये उठता है कि किसी वायरस का नाम मारबुर्ग कैसे हो सकता है? इस नाम की खोज कैसे की गई तो हम आपको बता दें कि इस वायरस का नाम जर्मनी के मारबुर्ग शहर के नाम पर पड़ा है। साल 1967 में इसके सबसे ज्यादा मामले देखे गए थे। इस वायरस के बारे में ये कहा जाता था कि यदि इसकी चपेट में कोई आ गया तो उसकी मौत निश्चित है। उस दौरान इस वायरस का शिकार हुए 90 फीसदी लोगों की मौत हो गई है।

कोरोना वायरस

इस वायरस की कई किस्में हैं। इस वायरस से पहले साल 2012 में सऊदी अरब में मर्स वायरस का फैलाव हुआ था जोकि कोरोना वायरस की ही एक किस्म है। यह पहले ऊंटों में फैला वहां से इसका संक्रमण इंसानों में हुआ। इससे पहले 2002 में सार्स फैला था जिसका पूरा नाम सार्स-कोव यानी सार्स कोरोना वायरस था। इस वायरस ने 26 देशों में तहलका मचाया था, इन दिनों इसी सार्स वायरस की दूसरी कैटेगरी से लोग परेशान है।

दुनिया भर में कहर बरपाने वाले मौजूदा कोरोना वायरस का नाम है सार्स-कोव-2 है। इस वायरस की चपेट में आने से अब तक दुनियाभर में 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। 5 लाख से अधिक लोग इसके शिकार है। एक लाख संक्रमित लोग इस वायरस से ठीक हो चुके हैं। चीन से निकले इस वायरस से पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है, अभी अगले दो से तीन माह तक इससे निजात मिलती भी नहीं नजर आ रही है।

इबोला वायरस

ये वायरस भी संक्रामक था। साल 2013 से 2016 के बीच पश्चिमी अफ्रीका में इबोला संक्रमण फैला था। इस वायरस ने यहां पर 11000 से ज्यादा लोगों की जान ली थी। इबोला वायरस की भी कई किस्में होती हैं। सबसे घातक किस्म के संक्रमण से 90 फीसदी मामलों में मरीजों की मौत हो जाती है।

हंटा वायरस

कोरोना के बाद इन दिनों चीन में हंटा वायरस के बारे में भी खबरें आ रही है। यहां पर इस वायरस से एक व्यक्ति की मौत की भी खबर है, इसी के बाद से ये वायरस भी चर्चा में आ गया है। बताया जा रहा है कि यह कोई नया वायरस नहीं है, इस वायरस के लक्षणों में फेफड़ों के रोग, बुखार और गुर्दा खराब होना शामिल हैं। ये रोग चूहे से इंसान के शरीर में होना बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जिस चीज को चूहा खा लेता है या अपने दांत लगा देता है और उसी चीज का सेवन कोई आदमी कर लेता है तो वो उस वायरस का शिकार हो जाता है।

रैबीज

वैसे इस वायरस के बारे में अधिकतर लोगों को पता ही है। ये वायरस कुत्तों, लोमड़ियों और चमगादड़ों के काटने से फैलता है। कई बार पालतू कुत्तों के काटने के बाद भी रैबीज फैलने की संभावना होती है इससे बचाव के लिए इंजेक्शन लगवाया जाता है। लेकिन भारत में यह आज भी रेबीज समस्या बनी हुई है। यदि एक बार ये वायरस मनुष्य के शरीर में पहुंच जाए तो उसकी मौत पक्की मानी जाती है।

रोटा वायरस

यह वायरस नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साल 2008 में रोटा वायरस के कारण दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के लगभग पांच लाख बच्चों की जान चली गई थी।

चेचक

ये काफी पुराना वायरस है। अक्सर दुनिया भर के गांवों में इस वायरस के मरीज पाए जाते रहे हैं। इंसान ने इस वायरस पर काबू पाने के लिए काफी लंबे समय तक जंग लड़ी। मई 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की कि अब दुनिया पूरी तरह से चेचक मुक्त हो चुकी है, उससे पहले तक चेचक के शिकार हर तीन में से एक व्यक्ति की जान चली जाती थी। उसके बाद लोग सचेत हुए और उसी हिसाब से इलाज कराना शुरु किया।

इन्फ्लुएंजा

दुनिया भर में हर साल हजारों लोग इन्फ्लुएंजा के शिकार होते हैं। दूसरे शब्दों में इसे फ्लू भी कहते हैं। 1918 में जब इसकी महामारी फैली तो दुनिया की 40% आबादी संक्रमित हुई और पांच करोड़ लोगों की जान गई थी। इसे स्पेनिश फ्लू का नाम दिया गया। वैसे अभी तक कोरोना वायरस से इतने लोगों की जान नहीं गई है मगर पूरी दुनिया डरी सहमी हुई है। 

डेंगू

देश के कई इलाकों में काफी संख्या में मच्छर पाए जाते हैं। मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है। अन्य वायरस के मुकाबले इसकी मृत्यु दर काफी कम है लेकिन इसमें इबोला जैसे लक्षण हो सकते हैं। साल 2019 में अमेरिका ने डेंगू के टीके को अनुमति दी थी।

एचआईवी

साल 1980 के दशक में एचआईवी की पहचान हुई थी। वायरस की पहचान हो जाने के बाद से अब तक तीन करोड़ से ज्यादा लोग इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं, एचआईवी वायरस की वजह से एड्स होता है जिसका आज भी पूरा इलाज संभव नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार ये वायरस कई महिलाओं से शारीरिक संबंध बनाने की वजह से होता है। इस दौरान सुरक्षा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।  


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