भारत की तर्ज पर यूरोपीय संघ भी इंटरनेट कंपनियों के लिए नियम कड़े करने में लगा
यूरोपीय संघ भी फर्जी जानकारी के आधार पर पैसा कमाने वाली इंटरनेट कंपनियों के लिए अब दिशा निर्देश और सख्त करने की तैयारी कर रहा है। यूरोपीय आयोग ने इसको लेकर एक प्रस्ताव दिया है जिसमें नियमों को कड़ा करने की बात कही गई है।
बेल्जियम (रॉयटर्स)। भारत के अलावा अब यूरोपीय संघ भी इंटरनेट में आने वाली फर्जी जानकारियों पर लगाम लगाने का मन बना चुका है। इसको लेकर यूरोपीय संघ ने भी अब नियम-कानूनों को पहले से अधिक कड़ा बनाने की घोषणा की है। इसके जरिए यूरोपीय संघ ये सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी तरह की गलत जानकारी के जरिए या फेक न्यूज के माध्यम से कंपनियां लाभ न ले सकें। आपको बता दें कि यूरोपीय संघ कोरोना काल में सामने आई फर्जी जानकारियों और खबरों को लेकर पहले भी अपनी आपत्ति जता चुका है। लेकिन अब इसके खिलाफ सख्त होते हुए यूरोपीय आयोग ने इसको रोकने का प्रस्ताव दिया है। इसमें कहा गया है कि इसके लिए कड़े नियम बनाने की जरूरत है। यूरोपीय संघ के उद्योग प्रमुख थिअरी ब्रेटन का कहना है कि इंटरनेट के जरिए फैलाई जाने वाली झूठी जानकारियां पैसे कमाने का जरिया नहीं बननी चाहिए। इसको रोकने के लिए यूरोपीय संघ को अधिक मजबूत और प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।
आपको बता दें कि यूरोपीय संघ ने वर्ष 2018 में इंटरनेट के माध्यम से फैली फर्जी जानकारियों को रोकने लिए दिशा निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन इनको मानने के लिए कोई भी कंपनी बाध्य नहीं थी। स्वेच्छा से ही कोई कंपनी इसको अपना सकती थी। इन दिशा-निर्देशों पर गूगल समेत दूसरी सोशल मीडिया कंपनियों ने अपने हस्ताक्षर किए थे। लेकिन इनके लचीले होने की वजह से इनपर अमल नहीं हो सका था। यूरोपीय संघ की तरफ से जो नया प्रस्ताव दिया गया है कि उनमें इनको कड़ा करने और इनके प्रति कंपनियों की प्रतिबद्धता बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
नए प्रस्तावों को लेकर अब यूरोपीय आयोग चाहता है कि इस पर न केवल विज्ञापन कंपनियां अपने हस्ताक्षर करें, बल्कि इनसे फायदा उठाने वाली और निजी संदेश प्रसारित करने वाली कंपनियां भी इसके दायरे में शामिल हों। आयोग की उपाध्यक्ष मौजूदा समय में फर्जी जानकारियां खूब बिकती हैं इसलिए आयोग चाहता है कि इसको रोका जाए। कोई भी कंपनी फर्जी जानकारी के आधार पर कोई विज्ञापन न दे।
इन नए प्रस्तावों में पारदर्शिता लाने और गलत सूचनाओं के आधार पर दिए गए विज्ञापनों और उन पर क्या कार्रवाई की गई, की जानकारी मांगने का अधिकार है। हालांकि, योरोवा इसको सेंसरशिप नहीं मानती हैं। आयोग चाहता है कि पब्लिश करने से पहले कंपनियां इनकी जांच करें। उनका ये भी कहना है कि अब फर्जी जानकारियों के आधार पर पैसा कमाने वालों पर लगाम लगानी होगी। सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर और फेसबुक ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। संघ 2022 से इन नए नियमों को लागू करने की तैयारी में है।