भारत में शरण और सुरक्षा की गुहार लगा रहे म्यांमार के शरणार्थी, चिंतित है संयुक्त राष्ट्र
तख्तापलट के बाद से म्यांमार में बढ़ते विस्थापन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है और यहां के विस्थापित लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की है। भारत और म्यांमार के बीच 1600 किमी से अधिक लंबी सीमा है जिसपर बाड नहीं लगे हैं।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रवक्ता स्टीफन दुजार्रिक (Stephane Dujarric) ने कहा कि म्यांमार के तकरीबन चार हजार से छह हजार शरणार्थियों ने भारत से शरण की गुहार लगाई है। फरवरी में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से विस्थापितों की बढ़ती संख्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (United Nations Refugee Agency, UNHCR) ने कहा कि पिछले हफ्ते तक म्यांमार में तकरीबन 60,700 महिलाएं, बच्चे और पुरुष देश में ही विस्थापित हुए।
Statelessness
Discrimination
Targeted violence
Over the past few decades, nearly 1 million Rohingya have fled their homes in Myanmar in search of peace and safety. While many fled across borders, some remain displaced in Rakhine State. #RohingyaResponse pic.twitter.com/KUam88f0Rn— UNHCR, the UN Refugee Agency (@Refugees) May 18, 2021
प्रवक्ता ने जानकारी दी कि गत मार्च और अप्रैल के बीच 1,700 शरणार्थी थाइलैंड पहुंचे। इनमें से अधिकतर वापस म्यांमार लौट गए वहीं हजारों शरणार्थी भारत से मदद मांग रहे हैं। म्यांमार की भारत के साथ बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा है और 1,600 किलोमीटर से अधिक लंबी बिना बाड़ की जमीनी सीमा है। भारत के चार पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं।
प्रवक्ता दुजार्रिक ने कहा कि म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी एक फरवरी में हुए म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के बाद से बढ़ते विस्थापन को लेकर काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा, 'तब से देश में नागरिकों के खिलाफ काफी हिंसा हुई है। सीमावर्ती इलाकों में म्यांमार सशस्त्र बलों और जातीय सशस्त्र संगठनों के बीच झड़पें तेज हुई है।' म्यांमार में UN टीम ने सभी देशों से यहां के लोगों को सुरक्षा देने की अपील की है।
1 फरवरी को म्यांमार की सेना ने यह कहते हुए तख्तापलट कर दिया था कि 8 नवंबर हुए चुनावों में म्यांमार की राजनेता सू की की पार्टी की जीत फर्जी थी। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने यह मानने से इनकार कर दिया इसके बाद से सेना ने देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया था। सेना ने दोबारा चुनाव कराने का ऐलान किया है पर तारीखों की घोषणा नहीं की है।