सदी के अंत तक तीन से छह दिन पहले गिरने लगेंगी पेड़ की पत्तियां, पर्यावरण में आए बदलाव का होगा दुष्प्रभाव
जर्मनी की म्यूनिख यूनिवर्सिटी सहित कुछ अन्य संस्थाओं से जुड़े वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में आशंका जताई है कि ट्रॉपिक और पोलर रीजन के सर्वाधिक पेड़ों पर पर्यावरण के बदलाव का यह असर दिखाई देगा। पेड़ों से जल्द पत्तियां गिरने का बड़ा कारण तापमान में बढ़ोत्तरी होगी।
बर्लिन, प्रेट्र। पर्यावरण में हो रहे बदलावों का दुष्प्रभाव चलायमान जीवधारियों पर ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों पर भी गंभीरता से पड़ रहा है। माना जा रहा है कि इस सदी के अंत तक कुछ पेड़ों की पत्तियां अपने वर्तमान समय से तीन से छह दिन पहले ही गिरने लगेंगी। इसका असर पेड़-पौधों के स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा।
जर्मनी की म्यूनिख यूनिवर्सिटी सहित कुछ अन्य संस्थाओं से जुड़े वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में आशंका जताई है कि ट्रॉपिक और पोलर रीजन के सर्वाधिक पेड़ों पर पर्यावरण के बदलाव का यह असर दिखाई देगा। पेड़ों से जल्द पत्तियां गिरने का बड़ा कारण तापमान में बढ़ोत्तरी होगी। वनस्पति पर पर्यावरण में बदलाव का असर दिखाई देना शुरू हो गया है। दशक दर दशक यह बढ़ता जा रहा है। यह अध्ययन साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
बदलाव के चलते प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तेज
अध्ययन के अनुसार पर्यावरण में बदलाव के चलते प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तेज होगी। पत्तियां और पेड़ अपने विकास से संबंधित प्रक्रिया को जल्द पूरा करेंगे। इसी के चलते पेड़ के स्वास्थ्य पर असर होगा और पत्तियां जल्द गिरनी शुरू होंगी। इस पूरी प्रक्रिया से विश्व में कार्बन का संतुलन भी प्रभावित होगा। पेड़ और पत्तियां अपना अस्तित्व खोएंगी तो वे कार्बन में ही तब्दील होंगी, जाहिर है दुनिया में कार्बन की मात्रा बढ़ेगी।
वैज्ञानिकों ने मध्य यूरोप के कई प्रजातियों के पेड़ों का 1948 से 2015 तक लंबा अध्ययन करके यह रिपोर्ट दी है। इन 67 वर्षो में पेड़ों की स्थितियों में गिरावट दर्ज की गई। वन क्षेत्र में मौजूद इन पेड़ों का पूरी तरह प्राकृतिक स्थिति में अध्ययन किया गया।