फरवरी में फिर आ सकता है अल-नीनो, कृषि उत्पादन हो सकता है प्रभावित
यूएन ने जलवायु परिर्वतन के कारण बढ़ते तापमान को लेकर चिंता जताई है।
जेनेवा, रायटर। अगले साल फरवरी से दुनिया पर फिर अल-नीनो का प्रभाव शुरू हो सकता है। हालांकि यह पहले के मुकाबले कमजोर रहेगा। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने मंगलवार को यह बात कही। पहले अनुमान लगाया गया था कि अल-नीनो इस साल सर्दियों में आ सकता है।
अल-नीनो पूर्वी व मध्य प्रशांत क्षेत्र में महासागर के सतह के तापमान के बढ़ने की स्थिति को कहा जाता है। दो-तीन साल के अंतराल पर यह स्थिति बनती रहती है। पिछली बार अल-नीनो की स्थिति 2015-16 में बनी थी। उस साल अल-नीनो बेहद तीव्र था और दुनिया के कई हिस्सों में इसके कारण सूखे और बाढ़ की स्थिति बन गई थी। डब्ल्यूएमओ के निदेशक मैक्स डिले ने कहा कि इस बार अल-नीनो पहले जितना प्रभावी नहीं रहेगा। कमजोर अल-नीनो के बाद भी कई क्षेत्रों में बारिश और तापमान पर इसका असर देखने को मिलेगा। लगातार बढ़ते वैश्विक तापमान के साथ अल-नीनो का प्रभाव मिलकर 2019 को और गर्म कर सकता है। इससे कृषि क्षेत्र पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
ग्लोबल वार्मिग रोकने के प्रयास अधूरे
यूएन ने जलवायु परिर्वतन के कारण बढ़ते तापमान को लेकर चिंता जताई है। यूएन एनवायरमेंट प्रोग्राम की इमिशंस गैस रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के स्तर और पेरिस समझौते के तहत तय स्तर में अंतर बहुत ज्यादा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी वैश्विक तापमान में महज एक डिग्री की वृद्धि से दुनियाभर में तरह-तरह के तूफान और चक्रवात आ रहे हैं। तापमान लगातार बढ़ रहा है।
सदी के अंत तक इसमें चार डिग्री की वृद्धि का अनुमान है। इस हिसाब से यह मानवता के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। 2015 में पेरिस समझौते में वैश्विक तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस पर रोकने का लक्ष्य तय किया गया था। इसके लिए कार्बन उत्सर्जन कम करने की बात कही गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन उत्सर्जन में कमी लक्ष्य से बहुत पीछे है।