UN: शांति और सुरक्षा के साथ पर्यावरण संबंधित मामलों को जोड़ना समस्या का हल नहीं- भारत
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने कहा कि शांति और सुरक्षा के मुद्दों के साथ जलवायु परिवर्तन जैसे पर्यावरण संबंधित समस्याओं को जोड़ना ठीक नहीं।
न्यूयार्क, एएनआइ। संयुक्त राष्ट्र में भारत की ओर से पर्यावरण के मामलों और शांति व सुरक्षा के मामलों को अलग रखने की बात कही गई। भारत ने कहा कि इन मुद्दों को आपस में मिलाना समस्या का हल नहीं है। भारत ने गुरुवार को कहा कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान से जुड़ी हर चीज को शांति एवं सुरक्षा से जोड़ने से जलवायु परिवर्तन संबंधित समस्याओं का हल नहीं है।
'अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रख-रखाव: पर्यावरणीय क्षति व शांति और सुरक्षा मुद्दे' पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उच्च स्तरीय चर्चा में भारत ने कहा कि पर्यावरणीय क्षति से मनुष्यों की गतिविधि प्रभावित हो सकती है। पर्यावरण को हो रहे नुकसान से जुड़ी हर चीज को शांति एवं सुरक्षा से जोड़ने से जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को दूर करने का न तो कोई अर्थपूर्ण समाधान मिलेगा और न ही इससे यह सुनिश्चित होगा कि इसके अपराधी पर्यावरणीय मामलों संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेंगे। भारत ने कहा कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान के उसी प्रकार मानवीय प्रभाव हो सकते हैं, जैसे मानवीय गतिविधि के अन्य पहलुओं के मानवीय आयाम हैं।
भारत ने कहा कि यह जलवायु कार्रवाई को लेकर अग्रणी कंट्रीब्यूटर है और देश ने वार्षिक तौर पर 38 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन पर रोक लगाई है। पिछले एक दशक के दौरान करीब 30 लाख हेक्टेयर जंगल उगाए गए। भारत ने आगे कहा, 'पर्यावरण संबंधित मामलों को शांति एवं सुरक्षा से जोड़ देने से हमें इस समस्या को लेकर समझ बढ़ाने में कोई मदद नहीं मिलेगी। हमें अर्थपूर्ण तरीके से इन समस्याओं से निपटने में इससे कोई मदद नहीं मिलेगी और न ही इससे असल में जिम्मेदार लोगों को सामने लाने एवं उनसे पर्यावरण संबंधी मामलों को लेकर उनकी प्रतिबद्धताओं का पालन कराने में कोई मदद मिलेगी। भारत ने अपने बयान में कहा, 'पर्यावरण की क्षति को बहुपक्षीय मुद्दों को मजबूती देने के लिए एक अवसर के तौर पर लें और हरी-भरी रहने लायक दुनिया का निर्माण करें। '