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तख्तापलट के खिलाफ यंगून की सड़कों पर फिर उतरे प्रदर्शनकारी, शीर्ष नेताओं को रिहा करने की मांग

म्यांमार की सेना गत एक फरवरी को नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) की सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर काबिज हो गई। देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की समेत कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया गया।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 08:10 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 08:15 PM (IST)
तख्तापलट के खिलाफ यंगून की सड़कों पर फिर उतरे प्रदर्शनकारी, शीर्ष नेताओं को रिहा करने की मांग
म्यांमार में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है

यंगून, एजेंसियां। म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी कड़ी में देश के सबसे बड़े शहर यंगून में मंगलवार को फिर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे और सैन्य शासन खत्म करने के अलावा अपदस्थ सर्वोच्च नेता आंग सान सू की समेत दूसरे नेताओं को रिहा करने की मांग की।

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यंगून में मुख्य प्रदर्शन स्थल पर सुबह के समय बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हुए। हालांकि सोमवार के मुकाबले इनकी संख्या कम थी। इधर, म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में पुलिस की फायरिंग में जान गंवाने वाले 37 वर्षीय नैंग विंग का अंतिम संस्कार किया गया। इस शहर में शनिवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए फायरिंग की थी। इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और 20 अन्य घायल हुए थे।

म्यांमार की सेना गत एक फरवरी को नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) की सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर काबिज हो गई। देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की समेत कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद से ही पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है।

कई सैन्य अधिकारियों पर अमेरिका ने लगाए प्रतिबंध

इधर, अमेरिका और कई पश्चिमी देशों ने म्यांमार की सैन्य सरकार से हिंसा बंद करने और राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की अपील की है। जबकि अमेरिका ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की घटना को लेकर इस देश के कई सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

मलेशिया ने म्यांमार के एक हजार नागरिकों को भेजा स्वदेश

मलेशिया ने कोर्ट की रोक के बावजूद म्यांमार के एक हजार से ज्यादा नागरिकों को स्वदेश भेज दिया। कोर्ट ने इन नागरिकों के निर्वासन पर रोक लगाई थी। इन लोगों को लाने के लिए म्यांमार ने एक पोत भेजा था।


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