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चिली: सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 10 हुई, मेट्रो किराए में वृद्धि से शुरू हुई रार

विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्‍या दस हो गई है। स्‍थाीनय पुलिस ने 700 से अधिक प्रदर्शनकारियों को लूट व अन्‍य गंभीर अपराधों के आरोप में हिरासत में लिया है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 11:59 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 12:22 PM (IST)
चिली: सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 10 हुई, मेट्रो किराए में वृद्धि से शुरू हुई रार
चिली: सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 10 हुई, मेट्रो किराए में वृद्धि से शुरू हुई रार

सैंटिआगो, एजेंसी । चिली में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्‍या दस हो गई है। स्‍थाीनय पुलिस ने 700 से अधिक प्रदर्शनकारियों को लूट और अन्‍य गंभीर अपराधों के आरोप में हिरासत में लिया है। स्‍थानीय अधिकारियों ने बताया कि बिगड़ती कानून व्‍यवस्‍था को ध्‍यान में रखते हुए यहां दूसरी बार कर्फ्यू लगाया गया है। प्रदर्शन को देखते हुए क्षेत्र में 24 घंटे में दूसरी बार कर्फ्यू की स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है।

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शनिवार को सैंटियागो सुपर बाजार के अंदर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पों के बाद आग लगने से कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी। अब प्रदर्शनाें में मरने वालों की संख्‍या दस पहुंच गई है। बता दें कि चिली में मेट्रो किराया वृद्धि के खिलाफ लोगों का गुस्‍सा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आया। देखते ही देखते यह विरोध प्रदर्शन कई स्‍थानों पर फैल गया।

बैकफूट पर राष्‍ट्रपति पिनेरा

द न्यू यॉर्क टाइम्स ने बताया कि हाईस्कूल के छात्रों द्वारा आयोजित प्रदर्शनों ने राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा को यह घोषणा करने के लिए मजबूर किया कि वह सार्वजनिक परिवहन किराया बढ़ाने के अपनी सरकार के फैसले को पलट देंगे। विरोध प्रदर्शन पूरे देश के अन्य शहरों में भी फैल गया है। राजधानी सैंन टिआगो में कम से कम पांच मेट्रो स्टेशनों और बसों को आग लगा दी गई, जबकि हिंसक प्रदर्शनकारियों ने सुपरमार्केट और फार्मेसियों को लूट लिया। कई समूहों ने सोमवार को राष्ट्रीय हड़ताल का भी आह्वान किया है।

1990 में चिली में बहाल हुआ लोकतंत्र 

1990 में चिली के लोकतंत्र बहाल होने के बाद यह पहली बार है कि सरकार ने राजधानी में सार्वजनिक विकारों के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित की है। पिनेरा के आपातकाल की स्थिति घोषित करने के फैसले के बाद इस महीने इक्वाडोर में हिंसक विरोध प्रदर्शनों की लहर चल पड़ी। इसके कारण इसके अध्यक्ष लेनिन मोरेनो को अस्थायी रूप से राजधानी से भागना पड़ा। इस बीच, पड़ोसी पेरू में, राष्ट्रपति मार्टिन विज़कार्रा ने सितंबर के अंत में एक भ्रष्टाचार जांच द्वारा स्थापित राजनीतिक लड़ाई पर नाटकीय वृद्धि में कांग्रेस को भंग कर दिया।

यह विरोध प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहे हैं जब लैटिन अमेरिकी देश दो बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों की मेजबानी करने के लिए तैयार होता है। अगले महीने दिसंबर में एक एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन होने वाला है तो दूसरी दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन भी आयोजित करने की तैयारी चल रही है।


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