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नेपाल की हठधर्मिता : नए नक्शे की संवैधानिक प्रक्रिया हुई पूरी, बिल पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए

नेपाल के संसद के उच्च सदन से सर्वसम्मति से पारित बिल पर गुरुवार दोपहर बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने हस्ताक्षर कर दिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 07:05 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 07:05 AM (IST)
नेपाल की हठधर्मिता : नए नक्शे की संवैधानिक प्रक्रिया हुई पूरी, बिल पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए
नेपाल की हठधर्मिता : नए नक्शे की संवैधानिक प्रक्रिया हुई पूरी, बिल पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल ने अपने नक्शे के संबंध में संविधान संशोधन की प्रक्रिया को पूरा करते हुए उसे कानूनी मान्यता दे दी। संसद के उच्च सदन से सर्वसम्मति से पारित बिल पर गुरुवार दोपहर बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने हस्ताक्षर कर दिए। भारत के विरोध के बावजूद इस नए नक्शे में नेपाल ने तीन भारतीय इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दर्शाया है। नेपाल के इस कदम से दोनों देशों के सौहार्दपूर्ण संबंधों को तगड़ा झटका लगा है। नेपाली राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार राष्ट्रपति भंडारी ने बिल पर संवैधानिक प्रावधानों के तहत हस्ताक्षर किए हैं। संविधान में दूसरे संशोधन वाले इस बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित बताया गया है।

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भारत के लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र में दर्शाया

पिछले दिनों भारत ने नेपाल के इस 'कृत्रिम रूप से सीमा विस्तार' को अस्वीकार्य बताया था। भारत द्वारा नवंबर 2019 में अपना नया नक्शा प्रकाशित करने के छह महीने बाद नेपाल ने पिछले माह ही अपना राजनैतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी किया है। नेपाल ने अपने नए नक्शे में भारतीय क्षेत्र के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती तीन स्थानों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दर्शाया है।

इस नक्शे को राष्ट्रीय मान्यता देने के लिए संविधान संशोधन बिल को नेपाली संसद के उच्च सदन ने गुरुवार को सदन ने इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया। नेशनल एसेंबली के अध्यक्ष गणेश तिमिलसिना ने बताया कि सदन में उपस्थित सभी 57 सदस्यों ने इस बिल के पक्ष में वोट दिया। नेपाली मंत्रिमंडल इस नए नक्शे का अनुमोदन 18 मई को ही कर चुका है। 

भारत ने कहा, कृत्रिम सीमा विस्तार के दावे के पीछे कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं

इस संबंध में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार को कहा था कि नेपाली संसद के निचले सदन में नए नक्शे से संबंधित बिल पास होने की बात हम लोगों ने संज्ञान में ले ली है। इस नक्शे में भारतीय क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। हम इस विषय पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं। नेपाल की ओर से किए गए कृत्रिम सीमा विस्तार के दावे के पीछे कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। हमें यह कतई स्वीकार नहीं है।

नेपाल का यह कदम सीमा संबंधी मुद्दों को हल करने के लिए बनी सहमति का उल्लंघन है। उल्लेखनीय भारत-नेपाल संबंधों में तल्खी तब से और बढ़ी है जब 8 मई को लिपुलेख को धारचूला से जोड़ने वाली 80 किमी लंबी सड़क का भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया है। 


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