हंबनटोटा नहीं पहुंचा चीनी शोध पोत, श्रीलंका की अनुमति का इंतजार; पोर्ट से 600 समुद्री मील की दूरी पर है खड़ा
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार हंबनटोटा से पूरब 600 समुद्री मील की दूरी पर खड़ा यह पोत क्लियरेंस का इंतजार कर रहा है। इससे पहले भारत ने अपनी सुरक्षा चिंताओं के चलते द्वीपीय राष्ट्र में इसकी मौजूदगी को लेकर विरोध जताया था।
कोलंबो, एजेंसियां। भारत के एतराज के बावजूद श्रीलंका के दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा की ओर बढ़ रहा चीन का शोध और सर्वे पोत युआन वांग-5 तय कार्यक्रम के अनुसार गुरुवार को वहां नहीं पहुंचा है। श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण (SLPA) ने यह जानकारी शुक्रवार को दी।
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, हंबनटोटा से पूरब 600 समुद्री मील की दूरी पर खड़ा यह पोत क्लियरेंस का इंतजार कर रहा है। इससे पहले भारत ने अपनी सुरक्षा चिंताओं के चलते द्वीपीय राष्ट्र में इसकी मौजूदगी को लेकर विरोध जताया था। चीन का यह सैन्य शोध करने वाला पोत बैलेस्टिक मिसाइलों को भी ट्रैक कर सकता है। योजना के अनुसार इस पोत को 11 अगस्त से 17 अगस्त तक हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकना था। इससे पहले मंगलवार को श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने चीन से आग्रह किया था कि वह पोत का आगमन अगले विमर्श तक टाल दे। लेकिन चीन लगातार बंदरगाह की ओर बढ़ रहा था। चीन ने कहा था कि भारत बेमतलब का विवाद कर रहा है, यह दो देशों का आपसी मामला है।
पाक का युद्धपोत पीएनएस तैमूर पहुंचा श्रीलंका
पाकिस्तान का चीन निर्मित नया जंगी जहाज पीएनएस तैमूर शुक्रवार को कोलंबो बंदरगाह पहुंच गया। यह यहां पर 15 अगस्त तक रुकेगा और इसे पश्चिमी सागर में श्रीलंका नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास करना है। उल्लेखनीय है कि इस युद्धपोत को बांग्लादेश सरकार ने चटगांव में रुकने से इन्कार कर दिया था।
बता दें कि इसके पहले श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने 12 जुलाई को हंबनटोटा बंदरगाह पर जहाज को लंगर डालने के लिए मंजूरी दी थी। आठ अगस्त को मंत्रालय ने कोलंबो में चीनी दूतावास को लिखे एक पत्र में जहाज के तय कार्यक्रम के मुताबिक ठहराव को स्थगित करने का अनुरोध किया था।