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चीन के कारण जापान परेशान, ड्रैगन की बढ़ती सैन्य ताकत बना ‘वैश्विक चिंता का कारण’

जापान ने चीन के रवैए के खिलाफ यूरोप अमेरिका और अन्य एशियाई देशों को एक साथ आने की जरूरत बताई है। जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने यूरोपीय संसद की सुरक्षा समिति को बताया कि चीन अपनी सैन्य क्षमता को बहुत तेजी से बढ़ा रहा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 07:52 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 07:52 PM (IST)
चीन के कारण जापान परेशान, ड्रैगन की बढ़ती सैन्य ताकत बना ‘वैश्विक चिंता का कारण’
जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी की फाइल फोटो

ब्रुसेल्स, रॉयटर्स। चीन के द्वारा सेना का विस्तार अब वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। अमेरिका के साथ अब अन्य देश भी चीन के इस निर्णय के पीछे की वजह तलाश रहे है। गुरुवार को जापान ने भी चीन के रक्षा बजट में वृद्धि को लेकर चिंता वयक्त करते हुए कहा कि, चीन के सैन्य इरादे स्पष्ट नहीं हैं और उसके सशस्त्र बलों का तेजी से विस्तार गंभीर चिंता का विषय है।

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जापान ने चीन के रवैए के खिलाफ यूरोप, अमेरिका और अन्य एशियाई देशों को एक साथ आने की जरूरत बताई है। जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने यूरोपीय संसद की सुरक्षा समिति को बताया कि, चीन अपनी सैन्य क्षमता को बहुत तेजी से बढ़ा रहा है। ये चिंता का विषय है, साथ ही ये भी स्पष्ट नहीं है की इसके पीछे चीन का क्या इरादा है।

चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना

किशी ने यूरोपीय संघ के सांसदों से कहा कि चीन की बैलिस्टिक मिसाइलें और जापान की तुलना में अपने रक्षा बजट को चार गुना तक बढ़ाने के फैसला और दक्षिणी चीनी सागर के द्वीपों के सैन्यीकरण, सभी गतिविधियों की सतर्कता से निगरानी करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने अमेरिकी रक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार चीन से जवाब मांगा कि, वो अपनी वायू सेना में लगातार बढ़ोतरी क्यों कर रहा है। जो अब विश्व में तीसरी सबसे बड़ी वायू सेना है। वहीं 2019 के घटनाक्रमों के आधार पर अमेरिकी आंकड़ों के अनुसार, चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। जिसमें अमेरिका की तुलना में ज्यादा युद्ध बल के जहाज और पनडुब्बियां हैं। जो दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है।

आंकड़ों के मुताबिक, चीन के पास 500 किमी से लेकर 5,500 किमी के बीच की रेंज वाली 1250 से ज्यादा ग्राउंड-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलें और ग्राउंड-लॉन्च क्रूज मिसाइलें हैं। ये अमेरिका की मिसाइलों की तुलना में कहीं ज्यादा है। रूस के साथ हथियार नियंत्रण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से अमेरिका के पास कोई जमीन से लॉन्च होने वाली क्रूज मिसाइल नहीं है।


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