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म्यांमार में आतंकियों को हथियार सप्लाई कर रहा चीन, उत्तर-पूर्व को लेकर चिंतित हुआ भारत: यूरोपीय थिंक टैंक

यूरोपीय थिंक टैंक का कहना है कि म्यांमार के आतंकियों को चीन की ओर से हथियार सप्लाई किया जा रहा है जिसे लेकर उत्तर-पूर्व में एक और विद्रोह को लेकर भारत के मन में पैदा हुआ खौफ।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 08:53 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 08:53 AM (IST)
म्यांमार में आतंकियों को हथियार सप्लाई कर रहा चीन, उत्तर-पूर्व को लेकर चिंतित हुआ भारत: यूरोपीय थिंक टैंक
म्यांमार में आतंकियों को हथियार सप्लाई कर रहा चीन, उत्तर-पूर्व को लेकर चिंतित हुआ भारत: यूरोपीय थिंक टैंक

एम्सटर्डम, एएनआइ। उत्तर-पूर्व इलाके को लेकर भारत एक बार फिर चिंतित हो गया है। दरअसल, कुछ दिन पहले ही म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर स्थित मे ताओ क्षेत्र (Mae Tao region) में अवैध चीनी हथियारों को जब्त किया गया। यह इलाका थाइलैंड के अंतर्गत आता है। यह जानकारी यूरोप के एक थिंक-टैंक (think tank) ने दी। द इर्रावडी (The Irrawaddy, the European Foundation for South Asian Studies, EFSAS) में 23 जून को प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, 'हालांकि प्राथमिक जांचों से पता चलता है कि ये हथियार म्यांमार में विद्रोही गुटों को पहुंचाया जा रहा था इससे नई दिल्ली में सुरक्षा चक्रों के भीतर चिंता की लकीरें खींच आई हैं। 

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अराकन आर्मी इस्तेमाल कर रहा ये हथियार 

म्यांमार-थाइलैंड बॉर्डर पर जब्त किए गए हथियारों के चीनी लिंक होने की पुष्टि करते हुए थिंक टैंक ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि ये हथियार अभी अराकन आर्मी के द्वारा इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं। यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी और काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी  द्वारा बनाए जाने वाले हथियार ऐसे नहीं हैं। वे स्वत: फायर नहीं कर सकते हैं। जब्त किए गए हथियार असली हैं और चीन निर्मित हैं।  इस मामले में 20 जुलाई को थाईलैंड में भारतीय राजदूत सुचित्रा दुरई ने वहां के ताक प्रांत के गर्वनर यूसिट संपूथारट के साथ बैठक की। बता दें कि जब्त हथियारों की खेप के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी म्यांमार में अपने समकक्ष से संपर्क में हैं।

लंबे समय से भारत के उग्रवादी म्यांमार में ले रहे शरण

भारत-म्यांमार की आर्मी ने अराकान आर्मी के सदस्यों के खिलाफ पिछले साल मार्च में ऑपरेशन किया था। इन उग्रवादियों से कालादान मल्टी ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट को खतरा था। इस प्रोजेक्ट को भारत के दक्षिण-पूर्व एशिया में गेटवे के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन के दौरान सीमा पार नहीं की थी। ऑपरेशन का मकसद अराकान आर्मी के सदस्यों को नेस्तनाबूद करना था। अधिकारी ने बताया कि अराकान आर्मी के सदस्य मिजोरम सीमा से सटे इंटरनेशनल बॉर्डर के काफी करीब आ गए थे। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के कई उग्रवादी संगठनों ने म्यांमार में शरण ले रखी है। म्यांमार की अराकान आर्मी भारतीय उग्रवादियों की मदद करते हैं। खास तौर पर म्यांमार के राखिने राज्य में यह आतंकी समूह भारतीय उग्रवादियों को शह देते हैं।


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