अफगानिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा चीन, अफगान बलों ने चीनी खुफिया नेटवर्क का किया पर्दाफाश
अफगान सुरक्षा बलों के अनुसार एनडीएस उन एजेंटों के नेटवर्क का सफाया कर रहा है जो चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के हितों को बढ़ावा देने के लिए कई महीनों से सक्रिय हैं। वे क्षेत्र में चीन के प्रभाव को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान में चीन की एक करतूत सामने आई है। वह आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कृत्य में लिप्त पाया गया है। अफगान बलों ने देश में गत छह माह से सक्रिय चीनी खुफिया नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। इसके तहत चीनी खुफिया एजेंट तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों के संपर्क में रहे। राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (NDS) के अधिकारियों ने मध्य दिसंबर में राजधानी काबुल में बड़े पैमाने पर एक अभियान चलाया था। नतीजन करीब दस चीनी खुफिया एजेंट पकड़े गए।
अफगान सुरक्षा बलों के अनुसार, एनडीएस उन एजेंटों के नेटवर्क का सफाया कर रहा है, जो चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के हितों को बढ़ावा देने के लिए कई महीनों से सक्रिय हैं। वे क्षेत्र में चीन के प्रभाव को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। एनडीएस की ओर से गिरफ्तार किए गए चीनी खुफिया अधिकारियों में एक का नाम ली ययांग है। ली को दस दिसंबर को काबुल में पकड़ा गया था। उसके दफ्तर से गोला-बारूद, विस्फोटक और कई हथियार बरामद किए गए।
जबकि दूसरा चीनी एजेंट शा होंग है। उसके घर से भी विस्फोटक और नशीले पदार्थ मिले थे। इन दोनों के अलावा सात और चीनी एजेंट पकड़े गए हैं। अफगानिस्तान में सक्रिय चीनी खुफिया नेटवर्क में ली और होंग की अहम भूमिका थी।
चीनी एजेंट नियमित रूप से तालिबान के कमांडरों से करते थे मुलाकात
अफगान मीडिया के अनुसार, पकड़े गए चीनी एजेंट हक्कानी नेटवर्क के संपर्क में थे। जबकि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) के एजेंट चीनी नेटवर्क और हक्कानी नेटवर्क के बीच मध्यस्थ के तौर पर काम करते पाए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि चीनी एजेंट नियमित रूप से तालिबान के विविध धड़ों के कमांडरों से मुलाकात करते थे। इनका मुख्य काम चीन से भागकर अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में जाने वाले उइगर मुस्लिमों के बारे में जानकारी एकत्र करना बताया जाता है।
बीजिंग को दिया स्पष्ट संदेश
मानवाधिकार कार्यकर्ता हबीबा आशना ने एक अफगान अखबार में लिखा है कि चीन एक तरफ अफगानिस्तान में शांति के बारे में बहुत बात करता है तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी आतंकियों का समर्थन करता है। उन्होंने लेख में कहा, 'काबुल ने बीजिंग को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वह अपनी जमीन पर पाकिस्तानी एजेंटों के सहयोग से चीनी जासूसी को बर्दाश्त नहीं करेगा।'