गुफा से निकाले गए बच्चों के सामने शोहरत के बोझ से लड़ने की चुनौती
किंग कॉलेज, लंदन में मनोचिकित्सा विभाग की डॉ. एंड्रिया डैनेज कहती हैं कि जहां तक संभव हो सके बच्चों को सामान्य जीवन जीने देना चाहिए।
चियांग राई, रायटर। बाढ़ के पानी से लबालब भरे थाम लुआंग गुफा से वाइल्ड बोअर्स टीम के 12 बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित निकाला जा चुका है। 11 से 16 साल के ये मासूम बच्चे इस समय चियांग राई के एक अस्पताल में हैं। अभी एक सप्ताह तक उनको चिकित्सकों की निगरानी में रहना होगा। फिर एक महीने तक वे अपने घर पर विश्राम करेंगे। इसके बाद जब वे अपनी सामान्य जिंदगी शुरू करेंगे, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती शोहरत से निपटने की होगी। उन पर अभी से उम्मीदों का बोझ डाला जाने लगा है।
13 साल का दुआंगपेच प्रमथेप वाइल्ड बोअर्स टीम का कप्तान है। उसकी दादी खम-ओय प्रमथेप कहती हैं कि पूरी दुनिया की नजर उस पर है। वह गुफा में फंस गया था और देश का हर आदमी उसकी मदद के लिए आगे आया। दुनियाभर के लोगों ने उसके लिए दुआएं कीं। बदले में उन्हें देने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है। इसलिए हर हाल में उसे अच्छा बच्चा बनना होगा।
बचाव दल में शामिल थाइ नेवी सील के गोताखोरी दल के प्रमुख रेयर एडमिरल अपाकोर्न युकोंगकाव इन बच्चों से अच्छा इंसान बनने को कह चुके हैं। बचाव अभियान खत्म होने के बाद बच्चों के नाम एक संदेश में उन्होंने कहा था कि भरपूर जिंदगी जियो और देश की भलाई के लिए काम करो।
किंग कॉलेज, लंदन में मनोचिकित्सा विभाग की डॉ. एंड्रिया डैनेज कहती हैं कि जहां तक संभव हो सके बच्चों को सामान्य जीवन जीने देना चाहिए। उन्हें समझाना होगा कि खतरा अब पूरी तरह से टल चुका है और वे सामान्य तरीके से रह सकते हैं। उनका शोध कहता है कि इस तरह के मामलों में सामान्यत: 20 फीसद बच्चों को अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक विकारों का सामना करना पड़ता है।