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इजरायल में नाफ्ताली बेनेट बने पीएम, नई सरकार भी चलेगी नेतन्याहू के नक्शेकदम पर

इजरायल में बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu 71) की सत्ता को खत्म करने का विरोधियों का सपना रविवार को पूरा हो गया। नीसेट (संसद) में विश्वास मत हासिल कर संयुक्त गठबंधन के नेता नाफ्ताली बेनेट इजरायल के प्रधानमंत्री बन गए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 09:57 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 07:02 AM (IST)
जरायल में विश्वास मत हासिल कर संयुक्त गठबंधन के नेता नाफ्ताली बेनेट इजरायल के प्रधानमंत्री बन गए।

यरुशलम, एजेंसियां। इजरायल में बेंजामिन नेतन्याहू (71) की सत्ता को खत्म करने का विरोधियों का सपना रविवार को पूरा हो गया। नीसेट (संसद) में विश्वास मत हासिल कर संयुक्त गठबंधन के नेता नाफ्ताली बेनेट इजरायल के प्रधानमंत्री बन गए। सबसे लंबे समय 12 साल देश के प्रधानमंत्री रहे बीबी के नाम से प्रसिद्ध नेतन्याहू जाते-जाते फिर वापसी का एलान कर गए। संसद में अपने भाषण में नेतन्याहू ने नई सरकार को खतरनाक करार देते हुए कहा कि वह पूरी क्षमता से विपक्ष की भूमिका निभाएंगे।

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लिकुड पार्टी का नेतृत्व करेंगे और गठबंधन सरकार को सत्ता से हटाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे। इजरायल की सुरक्षा उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। ट्विटर पर देशवासियों के लिए नेतन्याहू ने प्यार और आभार जताया। इससे पहले रविवार अपराह्न गठबंधन सरकार के विश्वास मत के लिए नीसेट का विशेष सत्र आहूत किया गया। इजरायल की संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार प्रधानमंत्री पद के लिए दावा करने वाले नेता को पहले विश्वास मत हासिल करना होता है, इसके बाद वह प्रधानमंत्री पद की शपथ लेता है।

नए प्रधानमंत्री बेनेट हाईटेक धन कुबेर हैं। उनके साथ सरकार में वामपंथी दलों, मध्यमार्गी दल और अरब पार्टी भी साझीदार है। बेनेट ने याइर लैपिड के साथ मिलकर गठबंधन तैयार किया है। लैपिड नई सरकार में विदेश मंत्री होंगे और सरकार का आधा कार्यकाल पूरा होने पर उन्हें समझौते के मुताबिक प्रधानमंत्री पद मिलेगा। दो साल से कम समय में चार चुनाव देख चुके इजरायल को इस दौर की यह पहली बहुमत वाली सरकार मिली है।

करीब चार घंटे के विशेष सत्र की शुरुआत में बेनेट ने नेतन्याहू को प्रधानमंत्री के रूप में किए गए कार्यों के लिए धन्यवाद दिया। बेनेट के पहले ही भाषण से लग गया कि वह फलस्तीन के मामले में पूर्व सरकार की तरह आक्रामक नहीं रहेंगे। अरब पार्टी की सरकार में भागीदारी के चलते उन्हें देश के 21 प्रतिशत अरब आबादी के हितों का भी ध्यान रखना होगा। इसलिए नई सरकार का फोकस घरेलू मसले और शासन व्यवस्था को बेहतर बनाने की ओर होगा।

बेनेट से साफ कर दिया है कि वह प्रशासनिक व्यवस्था में कोई बड़ा बदलाव करने नहीं जा रहे। मतलब यह है कि शासन नेतन्याहू के दक्षिणपंथी नजरिये से ही चलेगा। बेनेट ने कहा, वह अमेरिका के 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में वापस लौटने का पुरजोर विरोध करेंगे लेकिन अन्य मामलों में राष्ट्रपति जो बाइडन का समर्थन करेंगे। 


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