जहां पड़े हैं खाने के लाले, वहां मादुरो के पास है 85.36 अरब का सोना, बैंक ने लगाई रोक
वेनेजुएला में कई दिनों से चल रहा राजनीतिक संकट, US की दखलअंदाजी के बाद और गहरा गया है। वेनेजुएला में इस वक्त महंगाई चरम पर है और लोगों के सामने खाने के लाले पड़े हुए हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में चल रहा राजनीतिक संकट और गहराता जा रहा है। वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को एक और तगड़ा झटका लगा है। अब बैंक ऑफ इंग्लैंड ने निकोलस मादुरो के अधिकारियों को बैंक में जमा 1.2 बिलियन डॉलर (85.36 अरब रुपये) का सोना निकालने पर रोक लगा दी है। राजनीतिक संकट से जूझ रहे निकोलस इन दिनों अपने अधिकारों को बचाने की जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में बैंक का ये कदम उनके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, वेनेजुएला के सेंट्रल बैंक में रखे हुए आठ बिलियन डॉलर (568.60 अरब रुपये) के विदेशी भंडार में मादुरों के सोने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने यह रोक अमेरिकी सरकार के कहने पर लगाई है। अमेरिकी सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने मादुरो की पहुंच कम करने के लिए ये कदम उठाया है। मालूम हो कि अमेरीका विपक्षी नेता जुआन गिआडो का समर्थन कर रहा है, जो खुद को राष्ट्रपति के तौर पर प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने खुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया है।
शनिवार को ब्रिटेन ने भी अमेरिका और अन्य देशों के रुख पर स्पष्ट किया कि अगर अगले आठ दिनों में देश में नए चुनावों की घोषणा नहीं होती है तो गुएडो को देश के अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर मान्यता दे दी जाएगी। ब्रिटेन के विदेश राज्य मंत्री एलन डंकन ने कहा कि हम संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ यह कहते हुए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं कि नेशनल असेंबली और राष्ट्रपति जुआन गिआडो को वेनेजुएला के लोकतंत्र, उसकी अर्थव्यवस्था और स्वतंत्रता की बहाली के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया जाना चाहिए।
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने शनिवार को एक बयान में कहा कि वह बड़ी संख्या में ग्राहकों को सोना रखने की सेवाएं प्रदान करता है, लेकिन बैंक से उनके रिश्तों पर की टिप्पणी नहीं करता है। बैंक ने अपने बयान में कहा है कि वह अपने सभी कार्यों में बैंक जोखिम प्रबंधन के उच्चतम मानकों का पालन करता है। साथ ही लागू वित्तीय प्रतिबंधों सहित सभी प्रासंगिग कानूनों का भी पालन करता है।
वहीं वेनेजुएला के राजनीतिक संकट पर अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उनकी आर्थिक और कूटनीतिक साधनों का उपयोग करने की योजना है, ताकि वेनेजुएला सरकार के साथ किसी भी वाणिज्यिक लेनदेन को सुनिश्चित किया जा सके। विपक्षी नेता जुआन गिआडो के नेतृत्व वाली वेनेजुएला की अमेरिकी मान्यता प्राप्त सरकार के साथ बेहतर रहने की उम्मीद है।
राष्ट्रपति को हटाने के लिए हिंसक विरोध प्रदर्शन
वेनेज़ुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के इस्तीफे की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं। वहीं प्रमुख विपक्षी नेता जुआन गिआडो ख़ुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं। वेनेजुएला के राजनीतिक संकट को लेकर दुनिया दो खांचों में बंट चुकी है। गिआडो को अमेरिका, कनाडा और ताकतवर पड़ोसी देशों जैसे ब्राजील, कोलंबिया और अर्जेंटीना से समर्थन मिल रहा है। वहीं रूस और चीन मौजूदा राष्ट्रपति मादुरो के पक्ष में खड़े हैं। यूरोपीय संघ ने वेनेज़ुएला में फिर से चुनाव कराए जाने की मांग कर दी है और गिआडो के नेतृत्व वाली नेशनल असेंबली को अपना समर्थन दे दिया है। ऐसे में वेनेज़ुएला में राजनीतिक संकट वैश्विक समस्या बनने की ओर अग्रसर है।
भारत पर असर
वेनेजुएला से तेल खरीदने के मामले में भारत शीर्ष देशों में से एक है। मादुरो की गलत नीतियों के चलते अब अमेरिका उसके तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहा है। पिछले साल मार्च में निकोलस मादुरो अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे। भारत ने वेनेजुएला के साथ हाइड्रोकार्बन सेक्टर में सहयोग के लिए द्विपक्षीय समझौता भी किया है। इसके अलावा वेनेजुएला के ऑयल क्षेत्र में भारत ने निवेश भी किया है। ऐसे में वहां पर गहराया आर्थिक और राजनीतिक संकट भारत-वेनेजुएला संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
ध्वस्त अर्थव्यवस्था
अथाह तेल वाले वेनेजुएला में आज लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। वहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। बेरोजगारी, अपराध और भूखमरी चरम पर है। वहां सामान्य खाने-पीने की सामान्य चीजें व सब्जियां आदि 5000 रुपये से लेकर 7000 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही हैं। इससे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
13 लाख तक पहुंची मुद्रास्फिति की दर
वेनेजुएला में मौजूदा समय में खराब होती अर्थव्येवस्थां के बीच लोगों के पास या तो खाने का पैसा नहीं है या फिर इतने हैं कि उनसे वह कुछ खरीद नहीं पा रहे हैं। मौजूदा समय में यहां पर मामूली ब्रेड की कीमत भी सैकड़ों में चली गई है। बीते समय में कुछ जगहों पर खाने को लेकर भी संघर्ष साफतौर पर देखा गया है। वहीं बीते कुछ वर्षों के दौरान वेनेजुएला से लाखों लोग पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं। वेनेजुएला की सीमा पश्चिम में कोलंबिया, पूर्व में गुयाना और दक्षिण में ब्राजील से मिलती है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात तेल भंडार है और यह तेल के दुनिया के अग्रणी निर्यातकों में से एक है। इसके बाद ही इसको 2017 तक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने दिवालिया घोषित कर दिया था। हाल ये है कि बीते वर्ष दिसंबर में यहां पर मुद्रास्फीसति की दर करीब दस लाख फीसद तक पहुंच गई है। इसका अंदाजा अंतरराष्ट्री य मुद्रा कोष ने अगस्ता में ही लगा लिया था। वर्तमान में यह 13 लाख फीसद है। दरअसल पिछले वर्ष अगस्तआ में राष्ट्र्पति मादुरो ने देश की मुद्रा बोलवियर का नाम बदलकर 'सॉवरेन बोलवियर' कर दिया था। इसके अलावा इसका 95 फीसद अवमूल्यन भी किया गया था। इसके बाद से ही लगातार देश में मुद्रास्फीवति की दर बेतहाशा बढ़ रही है।
ऐसे गहराया संकट
- मार्च 2013 : कैंसर से राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज की मृत्यु के बाद निकोलस मादुरो ने सत्ता संभाली।
- अप्रैल 2013 : वेनेजुएला में हुए चुनाव में मादुरो ने विपक्ष को हराया और राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली।
- दिसंबर 2015 : विपक्षी लोकतांत्रिक एकता गठबंधन ने वेनेजुएला नेशनल असेंबली का नियंत्रण अपने हाथ में लिया।
- मार्च 2016 : वहां की सुप्रीम कोर्ट ने असेंबली का कार्यभार अपने हाथों में लिया।
- जुलाई 2017 : यह आरोप लगा कि मादुरो लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं। वेनेजुएला ने विधायी निकाय के निर्माण को मंजूरी देने के लिए जनमत
- संग्रह का आह्वान किया।
- मई 2018 : मादुरो दोबारा राष्ट्रपति बने। विपक्ष ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया। 14 लैटिन अमेरिकी देश सहित अमेरिका, कनाडा ने चुनाव को अवैध करार दिया।
- जनवरी 2019 : प्रमुख विपक्षी नेता ख़ुआन गिआडो ने ख़ुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किया।