Bulbul Cyclone : बंगाल के तट से टकराने वाला है ' बुलबुल' चक्रवात
Bulbul Cyclone Update कोलकाता हवाईअड्डे पर विमानों का परिचालन बंद हो गया है।
नई दिल्ली, प्रेट। चक्रवात 'बुलबुल' के कारण शनिवार को शाम 6 बजे से शुरू होने वाले 12 घंटे के लिए पूर्वी भारत के सबसे व्यस्त कोलकाता हवाई अड्डे पर परिचालन स्थगित रहेगा। यह जानकारी गृह मंत्रालय ने दी है।शनिवार शाम पश्चिम बंगाल तट पर इस चक्रवात के कारण भूस्खलन की आशंका है।किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए देश की सर्वोच्च संस्था नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी (NCMC) ने शनिवार को बंगाल की खाड़ी के ऊपर बेहद गंभीर चक्रवात 'बुलबुल' से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की।
भद्रक मेंआठ मछुआरे जो नाव के फंस जाने के बाद कालीभंजा दीहा द्वीप पर फंसे थे, उन्हें ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स टीम और स्थानीय मछुआरों ने बचाया। भद्रक में वर्षा शुरू हो गई है और तेज हवाएं बह रही हैं।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि गंभीर हो चुके चक्रवात 'बुलबुल' के कारण कोलकाता हवाई अड्डे पर नौ नवंबर को शाम छह बजे से लेकर 10 नवंबर को सुबह 6 बजे तक स्थगित किया गया है। चक्रवात 'बुलबुल' शनिवार दोपहर 2.30 बजे दीघा के दक्षिण-पूर्व पर लगभग 90 किलोमीटर, सागर द्वीप से 85 किमी दक्षिण और कोलकाता से 185 किमी दक्षिण-पूर्व स्थित है।
Bulbul Cyclone Live Update:
- नौसेना ने अपने विमानों और राहत सामग्री भरे तीन जहाजों को तैयार रखा है। रक्षा मंत्रालय की ओर से एक बयान में बताया गया कि पूर्वी नौसेना कमान बंगाल की ओर तेज गति से बढ़ रहे बुलबुल तूफान पर करीब से नजर बनाए हुए है। नौसेना की ओर से चक्रवाती तूफान को देखते मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने की चेतावनी के साथ उन्हें करीबी बंदरगाहों व अन्य जगहों पर आश्रय लेने की भी सलाह दी गई है।
- इसके चलते शनिवार शाम 6 बजे से रविवार सुबह 6 बजे तक कोलकाता हवाईअड्डे पर विमानों का परिचालन बंद रहेगा। गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है।
- चक्रवात के पश्चिम बंगाल तट पर शनिवार को रात लगभग 8 बजे से 10 बजे तक पहुंचने की उम्मीद है।
- किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए देश की सर्वोच्च संस्था नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी (NCMC)ने शनिवार को बंगाल की खाड़ी के ऊपर गंभीर हो चुके चक्रवात 'बुलबुल' से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की
- मौसम विभाग (IMD)ने सूचित किया कि चक्रवात अब तेज हो गया है और शनिवार शाम तक पश्चिम बंगाल तट को पार करने की संभावना है।
इसे लेकर बांग्लादेश सतर्क हो गया है।बंगाल की खाड़ी पर बने दबाव के चलते यह तूफान बांग्लादेश के दक्षिणी तट की ओर बढ़ रहा है। बांग्लादेश ने खतरे के मद्देनजर अपनी नौसेना को अलर्ट कर दिया है। नौसेना किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार है। शनिवार सुबह ढाका में मौसम कार्यालय ने भयंकर तूफान की चेतावनी जारी की है।
आपादा प्रबंधन मंत्री इनामुल हक का कहना है कि 13 तटीय जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। यहां के सरकारी कार्यालायों को काम बंद करने का कहा गया है। इसके अलावा चटगांव सहित देश के मुख्य बंदरगाहों में सभी गतिविधियों को निलंबित कर दिया गया है। व्यापारिक लिहाज से यह समुद्री मार्ग बेहद अहम है। लगभग 80 फीसद निर्यात और आयात इन्हीं बंदरगाहों से होता है।
एहतियात के तौर पर 50,000 से अधिक स्वयंसेवकों को स्टैंडबाय पर रखा गया है। मौसम विभाग का अनुमान है कि बंगाल की खाड़ी में उठा यह चक्रवात बांग्लादेश के विशाल दक्षिण पश्चिमी और दक्षिणी तट से टकरा सकता है। सतर्कता के तौर पर मछुआरों को समुद्र में न जाने की हिदायत दी गई है, जो मछुआरे समुद्र में है उन्हें वापस आ जाने के लिए कहा गया है।
बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव
बता दें कि बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र बुधवार को पारादीप से 800 किलोमीटर दूर समुद्र में डीप डिप्रेशन में तब्दील होने के बाद छह किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ बढ़ रहा था। उस वक्त मौसम विभाग ने दावा किया था कि बुलबुल नामक यह चक्रवात किस जगह पर लैंडफाल करेगा, यह सात नवंबर को स्पष्ट होगा। यह माना जा रहा था कि चक्रवात पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की ओर रुख कर सकता है।
फानी ने मचाया कोहराम
मई, 2019 में भयंकर चक्रवाती तुफान फानी ने भारत में तबाही के निशान छोड़ने के बाद बांग्लादेश को निशाना बनाया था। इसमें कम से कम 14 लोगों की जानें गई थीं। बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों में तूफान से तटबंधों के टूटने के बाद 36 गांवों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। करीब 16 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया था। बांग्लादेश के नोआखली, भोला और लक्ष्मीपुर सहित आठ जिलों में मौतें हुईं थीं। ये सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र थे।
फानी दसवां चक्रवात
फानी पिछले 52 वर्षों में मई में भारत से टकराने वाला दसवां चक्रवात है। इससे पहले 1968, 1976, 1979, 1982, 1997, 1999 और 2001 की मई में इस तरह के चक्रवात देखे गए थे। आमतौर पर खतरनाक चक्रवात भारत के पूर्वी तट पर मानसून के मौसम (अक्टूबर-दिसंबर) में आते हैं। 1965 और 2017 के बीच के 52 वर्षों में देश में 39 अत्यंत खतरनाक चक्रवात आए।
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