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बांग्लादेश ने रोहिंग्या कैंपों पर लगाया लॉकडाउन, कोरोना हॉटस्पॉट की आशंका

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बांग्लादेश ने रोहिंग्या शरणार्थियों के इलाकों को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 03:27 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 03:27 PM (IST)
बांग्लादेश ने रोहिंग्या कैंपों पर लगाया लॉकडाउन, कोरोना हॉटस्पॉट की आशंका

कॉक्स बाजार (बांग्लादेश), एएफपी। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बांग्लादेश ने एक लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी वाले कॉक्स बाजार जिले को पूरी तरह से लॉकडाउन घोषित कर दिया है।

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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जहां सताए गए मुस्लिम अल्पसंख्यक रह रहे हैं, वहां कोरोना वायरस का प्रसार तेजी से हो सकता है। क्योंकि जहां ये लोग रह रहे हैं वहां न तो सीवेज की सुविधा है और लोग कैनवस और बांस से बने घरों में रह रहे हैं।

अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल इन शिविरों में किसी भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन वहा से कुछ दूरी पर कोरोना वायरस से संक्रमित एक मरीज मिला है। पिछले पांच दिनों में देश भर में 200 से अधिक मामले सामने आए हैं। जबकि 20 लोगों की मौत हो चुकी है। इसको देखते हुए अधिकारियों ने बुधवार देर रात से जिले में लॉक़ाउन का आदेश दिया।

निर्देश के अनुसार, 'क्षेत्र को पूर्ण लॉकडाउन के तहत रखा जाएगा। जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता तब तक ना तो किसी को अंदर जाने और ना ही बाहर निकलने की अनुमति होगी। रोहिंग्या शरणार्थियों सहित 30 लाख से ज्यादा की आबादी वाले जिले की मुख्य सड़क को पुलिस और सैनिकों ने बंद कर दिया है और गुरुवार को शिविरों के भीतर और आसपास गश्त की जा रही है।

शरणार्थी आयुक्त महबूब आलम तालुकदार ने एएफपी को बताया कि केवल आपातकालीन खाद्य आपूर्ति और चिकित्सा सेवाएं ही चालू रहेंगी। उन्होंने कहा कि विदेश यात्रा का इतिहास रखने वाले किसी भी व्यक्ति को शिविर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा, जब तक कि वे एक क्वारंटाइन पूरा नहीं कर लेते।

बता दें कि 2017 में सैन्य कार्रवाई के बाद 7,40,000 से अधिक रोहिंग्या म्यांमार सीमा पारकर बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में बस गए थे, जहां लगभग 2 लाख शरणार्थी पहले से ही रह रहे थे। अधिकार समूहों और कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की है कि पिछले सितंबर में लगाए गए इंटरनेट प्रतिबंध के कारण कोरोना महामारी के बारे में गलत जानकारी होने से ये शिविर हॉटस्पॉट बन गए हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चेतावनी दी है कि प्रतिबंधों की वजह से कोरोना वायरस के बारे में बुनियादी जानकारी भी इन शिविरों में रह रहे शरणार्थियों तक नहीं पहुंच पाई है। वहीं, शरणार्थी आयुक्त ने कहा कि उनके कार्यालय ने ढाका को इंटरनेट प्रतिबंधों को हटाने के लिए कहा था।


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