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सांसों पर भारी पड़ रही लेड एसिड बैटरियां, दुनिया में चौथे नंबर पर बांग्लादेश जहां सबसे ज्‍यादा मौतें

दुनिया में लेड एसिड बैटरियों का प्रचलन तेजी से बढ़ा है लेकिन इनकी रिसाइक्लिंग एक बड़ी समस्‍या बन गई है। लेड पॉइजनिंग लोगों की सांसों पर भारी पड़ रही है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 04:27 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 11:39 AM (IST)
सांसों पर भारी पड़ रही लेड एसिड बैटरियां, दुनिया में चौथे नंबर पर बांग्लादेश जहां सबसे ज्‍यादा मौतें
सांसों पर भारी पड़ रही लेड एसिड बैटरियां, दुनिया में चौथे नंबर पर बांग्लादेश जहां सबसे ज्‍यादा मौतें

ढाका, आइएएनएस। लेड एसिड बैटरियां रोशनी बिखेरने और विद्युत ऊर्जा को संग्रहित करने के एक फायदेमंद उपकरण के तौर पर सामने आई हैं। ऐसे में जब दुनियाभर में सौर ऊर्जा से लेकर विद्युत ऊर्जा के संग्रह पर जोर दिया जा रहा है इन बैटरियों का एक श्‍याह पक्ष भी सामने आया है। सीसा विषाक्तिकरण (लेड पॉइजनिंग) के कारण इन बैटरियों का बेहद घातक दुष्‍प्रभाव सामने आया है और दुनिया एक नए प्रदूषण का सामना करने की ओर बढ़ रही है। एक नई वैश्विक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सीसा विषाक्तिकरण (लेड पॉइजनिंग) के कारण बांग्लादेश में दुनिया का चौथा सबसे ज्यादा मौतों का आंकड़ा सामने आया है।

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आने वाली पीढ़‍ियों के लिए खतरा

इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स इवैल्यूएशन की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्‍लादेश में औसत आबादी के रक्त का स्तर 6.83 यूजी/डीएल है जो 11वीं सबसे ऊंची दर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में लेड पॉइजनिंग के मामले में सबसे गंभीर रूप से प्रभावित बच्चों की संख्या चौथे स्थान पर है। बांग्लादेश खुले में इस्तेमाल की जाने वाली लेड-एसिड बैटरी के अवैध रिसाइकलिंग के लिए चर्चित है। यह काम लोगों के घरों के नजदीक होता है। यही नहीं रिसाइकलिंग के दौरान निकले सीसा की चपेट में लोग आते हैं जिसका दुष्‍प्रभाव उन्‍हें बीमार बनाता है।

आईक्यू में भारी कमी

अनुमान लगाया गया है कि बांग्लादेश में इस लेड प्रदूषण की वजह से आईक्यू में भारी कमी देखी जा रही है। इसका आर्थिक नुकसान देश की जीडीपी पर पड़ रहा है जो 5.9 फीसद के बराबर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लेड प्रदूषण का असर बच्चों पर गंभीर और लंबे समय तक दिखाई देता है। इससे बच्‍चों और युवाओं का स्वास्थ्य और उनका विकास प्रभावित होता है। बांग्लादेश में यूनिसेफ के प्रतिनिधि टोमू होजूमी कहते हैं कि अब यूनिसेफ लोगों के साथ मिलकर इस खतरनाक धातु अपशिष्ट एवं प्रदूषण से निपटने में मदद करेगा।

धीरे-धीरे मारता है लेड

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फोर कहती हैं कि सीसा यानी लेड एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन है जो बच्चों के विकास और उनके दिमाग पर घातक असर डालता है। हालांकि अच्छी खबर यह भी है कि आवासीय इलाकों में सीसा का सुरक्षित रूप से रिसाइक्लिंग की जा सकती है। लोगों को उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए और लेड प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूक किया जा सकता है। शोध में यह भी पाया गया कि बांग्लादेश में मसालों में भी लेड की ज्‍यादा मात्रा पाई गई है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे सीसा लोगों की ज‍िंदगी में जहर घोलने लगा है।

साल 2000 के बाद से तेजी से बढ़ा प्रचलन

रिपोर्ट के मुताबिक, कम और मध्यम आय वाले देशों में सीसा एसिड बैटरी की घटिया रीसाइक्लिंग बच्चों में विषाक्तता का प्रमुख जरिया है। साल 2000 के बाद से इस तरह की बैटरियों का प्रचलन वाहनों में तीन गुना तेजी के साथ बढ़ा है। लेड प्रदूषण के चलते कम और मध्यम आय वाले देशों में बच्‍चों का जीवन संकट में पड़ता है और इस वजह से लगभग एक खरब डॉलर का नुकसान होता है। जो लोग इन बैटरियों की रिसाइक्लिंग के काम में जुड़े होते हैं अक्सर अपने कपड़ों, बालों, हाथों और जूतों पर दूषित कणों को घर ले आते हैं जिससे उनके बच्चे लेड की चपेट में आ जाते हैं।


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