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भारत के आधार पर बांग्लादेश ने भी इंटरनेट मीडिया के लिए बनाए नियम, लोगों से मांगी राय, मंत्रालयी समिति करेगी विचार

भारत में इंटरनेट व डिजिटल मीडिया तथा ओटीटी प्लेटफार्म आदि पर प्रभावी आइटी नियमों के आधार पर बांग्लादेश ने भी एक मसौदा तैयार किया है। जानें बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग विनियमन की ओर से बनाए गए इस मसौदे में क्‍या है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 10 Feb 2022 05:22 PM (IST)Updated: Thu, 10 Feb 2022 05:41 PM (IST)
भारत में इंटरनेट पर प्रभावी आइटी नियमों के आधार पर बांग्लादेश ने भी एक मसौदा तैयार किया है।

ढाका, एएनआइ। भारत में इंटरनेट व डिजिटल मीडिया तथा ओवर द टाप (ओटीटी) प्लेटफार्म आदि पर प्रभावी सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) नियमों के आधार पर बांग्लादेश ने भी एक मसौदा तैयार किया है। मीडियानामा के अनुसार, बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग विनियमन (बीटीआरसी)-2021 ने मसौदा तैयार किया है, ताकि एक शिकायत तंत्र विकसित किया जा सके। इसमें डिजिटल प्लेटफार्म के यूजर अपनी समस्याएं व शिकायतें दर्ज करा सकेंगे और तय समय सीमा में उनका निराकरण करना होगा।

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इसका उद्देश्य वैसी सामग्री या क्रियाकलापों पर अंकुश लगाना है, जो किसी यूजर को नुकसान पहुंचाते हों या बांग्लादेश की जीवनशैली के लिए खतरा हों। नियमों के इस व्यापक मसौदे को महीने की शुरुआत में सार्वजनिक किया गया है, जिस पर हितधारकों और आम लोगों से राय मांगी गई है।

नियामक ने मसौदा नियमों की कई शर्तों की व्याख्या की है और बताया है सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद इनमें किन-किन चीजों को शामिल किया जाएगा। इसमें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आचार संहिता तैयार किए जाने का प्रविधान भी किया गया है। ढाका ट्रिब्यून समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा अनुमति मिलने के बाद ओटीटी प्लेटफार्म को पंजीयन कराना होगा और उन्हें अश्लीलता, मानहानि व धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसे नियमों का पालन करना होगा।

बांग्लादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव मकबूल हुसैन ने कहा कि मसौदा नियमों पर हितधारकों और आम लोगों की प्रतिक्रिया आने के बाद उसे अंतर मंत्रालयी बैठक में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'उम्मीद है कि इस पर मौजूदा माह के अंत या अगले महीने तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा।' सूचना एवं प्रसारण मंत्री डा. हसन महमूद ने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म की मांग बढ़ रही है और फिलहाल देश में कोई नियामक प्रणाली मौजूद नहीं है। इसलिए, इन पर अंकुश लगाना काफी मुश्किल है।


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