आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का ट्रायल फिर शुरू, ब्रिटेन ने ट्रायल को पूरी तरह सुरक्षित बताया
ब्रिटेन की मंजूरी मिलने के बाद एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल फिर शुरू कर दिया है।
लंदन, एजेंसियां। आक्सफोर्ड विवि और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के संयुक्त प्रयास से विकसित वैक्सीन का ट्रायल फिर से शुरू कर दिया गया है। ब्रिटेन के दवा एवं स्वास्थ्य नियामक प्राधिकरण (एमएचआरए) द्वारा ट्रायल को सुरक्षित बताए जाने के बाद इसे फिर से शुरू करने को हरी झंडी दे दी गई। उल्लेखनीय है इस वैक्सीन के ट्रायल में शामिल एक वालंटियर में गंभीर लक्षण पैदा होने पर कुछ दिनों के लिए परीक्षण रोक दिए गए थे।
जांचकर्ताओं ने ट्रायल को सुरक्षित पाया
एस्ट्राजेनेका और आक्सफोर्ड विवि ने बताया कि हम इस मामले में और अधिक जानकारी नहीं दे सकते लेकिन यह सही है कि निजी जांचकर्ताओं ने ट्रायल को सुरक्षित पाया है। इसी निष्कर्ष के आधार पर ट्रायल फिर से शुरू किए जा रहे हैं। एस्ट्राजेनेका ने बताया कि आक्सफोर्ड की वैक्सीन एजेडडी1222 का इंग्लैंड में फिर से ट्रायल शुरू कर दिया गया है। कंपनी ने बताया कि इस ट्रायल में शामिल लोगों की सुरक्षा हमारी सबसे बड़ी चिंता है।
सर्वश्रेष्ठ मानकों का कर रहे पालन
हम इस ट्रायल में सर्वश्रेष्ठ मानकों का पालन कर रहे हैं। कंपनी ने बताया कि हम दुनिया के अन्य देशों के साथ मिलकर काम करेंगे और यह तय करेंगे कि और ट्रायल कब से शुरू किए जाएं। उल्लेखनीय है एक मानक समीक्षा प्रक्रिया के बाद इस वैक्सीन के दुनिया भर में चल रहे ट्रायल पर 6 सितंबर को रोक लगा दी गई थी। एक जांच कमेटी ने एमएचआरए को बताया कि ब्रिटेन में इसका ट्रायल फिर से शुरू किया जाना सुरक्षित है।
अगले साल की शुरुआत तक आएगी बाजार में
बता दें कि ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर बायोफार्मास्युटिकल फर्म एस्ट्राजेनेका इस वैक्सीन को तैयार कर रही है। पहले और दूसरे चरण में सफल रहने के बाद इसका तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा था लेकिन एक वालंटियर की तबियत बिगड़ने के चलते इसे रोक दिया गया था। माना जा रहा है कि यदि इसका ट्रायल सही सलामत पूरा हो जाता है तो अगले साल की शुरुआत तक यह बाजार में दस्तक दे देगी।
जुड़े थे 30,000 वॉलंटियर
वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका से करीब 30,000 वॉलंटियर जुड़े थे। एस्ट्रोजेनेका के प्रवक्ता ने कहा था कि हम पूरी सुरक्षा एवं तय मानकों के हिसाब से परीक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं डब्ल्यूएचओ की मुख्य विज्ञानी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के ट्रायल में बीमारी का आना एक 'वेक-अप कॉल' की तरह है। इससे वैज्ञानिकों को निराश नहीं होना चाहिए।
18,000 लोगों को दी जा चुकी है वैक्सीन
इस बीच ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने कहा है कि इस तरह के बड़े परीक्षण में आशंका रहती है कि कुछ भागीदार अस्वस्थ होंगे। हर मामले का सावधानी पूर्वक मूल्यांकन किया जाता है और सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। परीक्षण के तहत दुनियाभर में करीब 18,000 लोगों को यह टीका दिया जा चुका है। हम अपने अध्ययन में सर्वश्रेष्ठ मानकों को अपनाते हुए भागीदारों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध हैं। सुरक्षा को लेकर लगातार गहराई से मूल्यांकन किया जाता रहेगा।
भारत में भी रोक दिया गया था ट्रायल
भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया गया था। भारत में ट्रायल कर रहे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा था कि जब तक एस्ट्राजेनेका ट्रायल दोबारा शुरू नहीं करती तब तक के लिए हमने भी प्रक्रिया रोक दी है। हम डीसीजीआइ के निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
डीसीजीआइ ने जारी किया था नोटिस
बीते बुधवार को दवा नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) वीजी सोमानी ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि दुनिया के बाकी देशों में ट्रायल रुकने के बाद भी कंपनी ने लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रायल रोका क्यों नहीं है। अब जब ब्रिटेन ने टीके के ट्रायल को हरी झंडी दे दी है। उम्मीद है कि जल्द ही भारत में भी ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा।