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दुनियाभर में हथियारों की बिक्री में बढ़ोतरी, भारत में गिरावट ; SIPRI की रिपोर्ट में खुलासा

भारत में हथियारों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। साल 2018 में भारतीय रक्षा कंपनियों के तीनों सार्वजनिक क्षेत्र की संयुक्त बिक्री की संख्या में 6.9% की गिरावट दर्ज की गई है।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 12:41 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 01:43 PM (IST)
दुनियाभर में हथियारों की बिक्री में बढ़ोतरी, भारत में गिरावट ; SIPRI की रिपोर्ट में खुलासा

स्टॉकहोम, पीटीआइ। पूरी दुनिया में हथियारों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन भारत में हथियारों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। साल 2018 में भारतीय रक्षा कंपनियों के तीनों सार्वजनिक क्षेत्र की संयुक्त बिक्री की संख्या में 6.9% की गिरावट दर्ज की गई है। स्वीडन के स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शान्ति शोध संस्थान (SIPRI)की रिपोर्ट में सोमवार यह बात सामने आई है। 

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भारत की तीनों कंपनियां दुनिया के टॉप 100 हथियारों के आपूर्तिकर्ताओं में आती हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2018 में इस सेक्टर की सबसे बड़ी 100 कंपनियों (चीन को छोड़कर) में हथियारों और सैन्य सेवाओं की बिक्री कुल मिलाकर 420 बिलियन डॉलर रही, जो कि पिछले साल की तुलना में 4.6 प्रतिशत ज्यादा है।

डेटाबेस से चीनी कंपनियों को बाहर रखा गया

SIPRI के आर्म्स इंडस्ट्री डेटाबेस के नए डेटा से पता चलता है कि 2002 के बाद से शीर्ष 100 में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा हथियारों और सैन्य सेवाओं की बिक्री में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक विश्वसनीय अनुमान लगाने के लिए डेटा की कमी के कारण डेटाबेस से चीनी कंपनियों को बाहर रखा गया है।

2018 में 100 शीर्ष हथियार निर्माताओं में शामिल कंपनियां

2018 में 100 शीर्ष हथियार निर्माताओं में से अमेरिका, यूरोप और रूस की आठ कंपनियां शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष 20 में से जापान की छह, इजरायल, भारत और दक्षिण कोरिया की तीन। तुर्की की दो और ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और सिंगापुर की एक-एक कंपनियां शामिल हैं।

हथियारों की बिक्री में 27 प्रतिशत की गिरावट

शीर्ष 100 में शामिल तीन भारतीय हथियार कंपनियों की संयुक्त हथियार बिक्री 2018 में 5.9 बिलियन अमेरीकी डालर थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से 6.9 प्रतिशत की कमी आई है। यह कमी मुख्य रूप से भारतीय आयुध निर्माण की हथियारों की बिक्री में 27 प्रतिशत की गिरावट के कारण आई है। SIPRI की शीर्ष 100 वैश्विक हथियार फर्मों की सूची में तीन भारतीय कंपनियां हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) 38 वें स्थान पर है, भारतीय आयुध कारखानों (Indian Ordnance Factories) 56 वें स्थान पर और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) 62 वें स्थान पर है। शीर्ष 100 कंपनियों की हथियारों की बिक्री का 1.4 प्रतिशत में इन कंपनियों की हिस्सेदारी है।

तीनों कंपनियों का संचालन सरकार करती है

तीनों कंपनियों का संचालन सरकार करती है और ये लगभग पूरी तरह से घरेलू मांग पर निर्भर हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा आर्म्स की बिक्री 2018 में क्रमशः 3.5 और 5.9 प्रतिशत बढ़ी। हालांकि, भारतीय आयुध कारखानों की हथियारों की बिक्री में 27 प्रतिशत की गिरावट के साथ ये बढ़ोतरी हुई। भारतीय सेना की मांग में कमी के कारण यह कमी आई थी।

आयुध कारखानों के निजीकरण का कोई सवाल नहीं : राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि आयुध कारखानों के निजीकरण का कोई सवाल नहीं है और इनमें काम करने वाले कामगारों का हित सरकार किसी हालत में प्रभावित नहीं होने देगी। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सिंह ने कहा कि लोग आम तौर पर इन आयुध कारखानों को पेशेवर बनाने के पक्ष में हैं। इस सिलसिले में कारखानों के श्रमिक संगठनों से बात भी हुई है। हालांकि, इस मुद्दे पर जो कुछ भी किया जाएगा, वह सभी पक्षों को विश्वास में लेने के बाद ही किया जाएगा।

कोई प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास विचाराधीन नहीं

एक अन्य सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि आयुध कारखानों के निजीकरण का कोई सवाल नहीं है और इस तरह का कोई प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास विचाराधीन नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों की उत्पादन क्षमता और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण, निर्यात को बढ़ावा देने, नई तकनीक लाने समेत अन्य सुधारों के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।


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