खूनी संघर्ष खत्म करने को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों ने की शांति वार्ता
नागोर्नो-काराबाख की एक महीने की लड़ाई में अब तक सैकड़ो लोग मारे जा चुके हैं। OSCE मिन्स्क समूह ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि दोनों ही देश के विदेश मंत्री खूनी संघर्ष को सुलझाने को लेकर फ्रांस रूस और अमेरिका के दूतों से भी मिलने को तैयार हैं।
जिनेवा, रायटर्स। आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख में खूनी संघर्ष चल रहा है। दोनों देशों के खूनी संघर्ष के बीच आर्मीनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्री ने शांती को लेकर दिलचस्पी दिखाई है। जिनेवा में दोनों ही देशों के शीर्ष मंत्रियों ने शांति वार्ता की है। नागोर्नो-काराबाख की एक महीने की लड़ाई में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। OSCE मिन्स्क समूह ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि दोनों ही देश के विदेश मंत्री खूनी संघर्ष को सुलझाने को लेकर फ्रांस, रूस और अमेरिका के दूतों से भी मिलने को तैयार हैं।
आर्मीनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि करके बताया कि शांति को लेकर उनके संबंधित मंत्री जिनेवा पहुंचे हुए हैं। वहीं, मानवाधिकार समूहों ने भी युद्ध के दौरान क्लस्टर हथियारों के उपयोगों को तुरंत रोकने का आह्वान किया है।
खूनी संघर्ष विराम पर दुनियाभर की टिकी हुई हैं नजरें
बता दें कि आर्मीनिया और अजरबैजान दुनिया के नक्शे में दो छोटे से देश हैं, लेकिन इन दो देशों के बीच नागोर्नो काराबाख को लेकर लगभग एक महीने से ऐसी भीषण जंग चल रही है। जिसकी वजह से दुनिया भर की नजर इन दोनों देशों पर टिकी हुई हैं।
रूस ने कहा, इस संकट का राजनयिक समाधान है मुमकिन
वहीं, आर्मीनिया ने माना है कि अजरबैजान की फौज ने ईरान से लगते रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण गुबादली कस्बे पर कब्जा कर लिया है। इससे पहले रूस ने इशारों ही इशारों तुर्की, इजरायल समेत अन्य विदेशी ताकतों को गंभीर चेतावनी दी थी। इसी बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव ने कहा था कि इस संकट का राजनयिक समाधान मुमकिन है। उन्होंने सभी विदेशी ताकतों को चेतावनी दी थी कि वे इसके सैन्य समाधान को बढ़ावा देना बंद कर दें। लवरोव ने कहा कि यह कोई सीक्रेट नहीं है कि हम इस समस्या के सैन्य समाधान की संभावना का समर्थन नहीं करते हैं।