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वायु प्रदूषण से पूरी दुनिया को हो रहा भारी नुकसान, जानें भारत का कौन सा है नंबर

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) और ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया की रिपोर्ट में तेल गैस और कोयले से होने वाले वायु प्रदूषण के नुकसान का आकलन किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 07:09 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 07:54 PM (IST)
वायु प्रदूषण से पूरी दुनिया को हो रहा भारी नुकसान, जानें भारत का कौन सा है नंबर
वायु प्रदूषण से पूरी दुनिया को हो रहा भारी नुकसान, जानें भारत का कौन सा है नंबर

 पेरिस, एएफपी। जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से होने वाले वायु प्रदूषण से दुनिया को प्रतिदिन करीब आठ अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता है। यह लागत वैश्विक अर्थव्यवस्था का 3.3 प्रतिशत है। एक पर्यावरणीय अनुसंधान समूह ने अध्ययन में यह दावा किया है।

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सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) और ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया की रिपोर्ट में तेल, गैस और कोयले से होने वाले वायु प्रदूषण के नुकसान का आकलन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण से चीन में प्रतिवर्ष होने वाले नुकसान की लागत 900 अरब डॉलर, अमेरिका में 600 अरब डॉलर और भारत में 150 अरब डॉलर है।

वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष 45 लाख मौतें

व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया है कि जीवाश्म ईंधन को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की चपेट में प्रतिवर्ष दुनियाभर में 45 लाख लोगों की मौत होती है। चीन में जहां 18 लाख तो भारत में 10 मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है। अधिकतर मौतें हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर और तीव्र श्वसन संक्रमण से होती हैं। हाल ही के अध्ययनों में यह सामने आया था कि भारत की राजधानी नई दिल्ली में रहने का मतलब 10 सिगरेट के बराबर धुंआ ग्रहण करना है।

उचित कदम उठाकर कम कर सकते हैं नुकसान

ग्रीनपीस ईस्ट एशिया में क्लीन एयर के कैंपेनर मिनवू सोन ने कहा कि जीवाश्म ईंधन से होने वाला वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के साथ आर्थिक तंत्र के लिए भी खतरा है। इससे लाखों लोगों की जान जाती है, लेकिन यह ऐसी समस्या नहीं है जिससे निजात नहीं पाया जा सकता है। ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधन को छोड़कर नवीकरणीय स्रोतों को शामिल करना होगा। रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को नाइट्रोजन डाईऑक्साइड से 350 अरब डॉलर का नुकसान होता है। नाइट्रोजन डाईऑक्साइड भी जीवाश्म ईंधन के दहन से निकलने वाली प्रमुख गैस है।

पीएम 2.5 की स्थिति सबसे खतरनाक

शोधकर्ताओं ने बताया कि पीएम 2.5 की स्थिति सबसे खतरनाक है। इसकी वजह से प्रतिवर्ष दुनिया में दो ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है। पीएम 2.5 की वजह से पांच साल से कम उम्र वाले 40,000 बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। करीब बीस लाख बच्चों का जन्म समय से पहले होता है। पीएम 2.5 कण फेफड़ों में गहराई से प्रवेश करते हैं और रक्त प्रवाह में मिल जाते हैं, जिससे हृदय और स्वसन संबंधी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। डब्ल्यूएचओ ने इन्हें कैंसर के कारक के रूप में पाया है।

विकसित से लेकर विकासशील देशों में स्थिति भयावह

वायु प्रदूषण का प्रभाव विकसित से लेकर विकासशील देशों में एक जैसा ही है। इसकी वजह से सालाना जहां यूरोपीय यूनियन में 3,98,000 लोगों की मौत तो अमेरिका में 2,30,000 लोगों की मौत होती है। वहीं बांग्लादेश में 96,000 तो इंडोनेशिया में 44,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।


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