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कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सहयोग के लिए सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला को 'एशियन ऑफ द ईयर' का सम्मान

सिंगापुर के प्रतिष्ठित समाचार पत्र द स्ट्रेटस टाइम्स की ओर से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला को एशियन ऑफ द ईयर सम्मान से नवाजा गया है। पूनावाला समेत छह लोगों को यह सम्मान दिया गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 06:52 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 06:52 PM (IST)
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला को एशियन ऑफ द ईयर सम्मान से नवाजा गया है।

सिंगापुर, पीटीआइ। दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला को एशियन ऑफ द ईयर सम्मान से नवाजा गया है। सिंगापुर के प्रतिष्ठित समाचार पत्र 'द स्ट्रेटस टाइम्स' की ओर से पूनावाला समेत छह लोगों को यह सम्मान दिया गया है। अदार पूनावाला को कोरोना महामारी से लड़ने में उनके सहयोग के लिए यह सम्मान दिया गया है।

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भारत के पुणे शहर स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई जा रही कोरोना की वैक्सीन (कोवीशील्ड) का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने का समझौता किया है। भारत में कोविशील्ड का परीक्षण भी किया जा रहा है। इसके अलावा जिन अन्य लोगों को यह पुरस्कार दिया गया है, उनमें चीन के शोधकर्ता झांग योंगझेन, चीन के मेजर जनरल चेन वी, जापान के डॉ. राइउची मोरीशिता, सिंगापुर के प्रोफेसर ओइइ इंग इओंग शामिल हैं।

दक्षिण कोरिया के कारोबारी सियो जंग जिन को भी इस सम्मान से नवाजा गया है। इनकी कंपनी दुनिया को कोरोना वैक्सीन और अन्य कोरोना उपचार बनाने और बांटने में सक्षम होगी। प्रशस्ति पत्र में इन सभी विजेताओं को वायरस बस्टर्स बताया गया है। इसमें लिखा गया, 'हम आपके साहस, प्रतिबद्धता और रचनात्मकता को सलाम करते हैं। इस जोखिम भरे समय में आप एशिया ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए आशा की उम्मीद हैं।'

वर्ष 1996 में अदार पूनावाला के पिता साइरस पूनावाला ने सीरम इंस्टिट्यूट की स्थापना की थी। वर्ष 2001 में अदार पूनावाला इस कंपनी से जुड़े और वर्ष 2011 में अपने अथक प्रयासों के बाद वे इस कंपनी के सीईओ बने। पूनावाला ने कहा कि उनका इंस्टिट्यूट गरीब देशों की मदद करेगा ताकि उन तक आसानी से कोरोना की वैक्सीन पहुंच सके।

स्ट्रेटस टाइम्स की फॉरेन एडिटर भाग्यश्री गारेकर ने शनिवार को कहा, 'इस वर्ष ऐसा कोई दिन नहीं गया, जब इस महामारी से संबंधित कोई खबर नहीं आई हो। वर्ष के अंत में एशिया के वायरस बस्टर्स आशा की किरण लेकर सामने आए हैं। छह नामों को चुनने के लिए हमने लंबी बहस और प्रक्रिया अपनाई, लेकिन अंत में उन लोगों के समूह को यह पुरस्कार दिया, जिन्होंने वायरस द्वारा लाए गए संकट का हल खोजने में अहम भूमिका निभाई।'


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