Move to Jagran APP

US-Iran tension: पूरी दुनिया में सैन्य बेस वाला अमेरिका खुद को कितना और कब तक बचा पाएगा

US-Iran tension ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के सैन्य सलाहकार मेजर जनरल हुसैन डेहघन ने चुनौती दी है कि वे अमेरिका के इस दुस्साहस का बदला उसे सीधे घाव देकर लेंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 09:54 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 09:53 AM (IST)
US-Iran tension: पूरी दुनिया में सैन्य बेस वाला अमेरिका खुद को कितना और कब तक बचा पाएगा
US-Iran tension: पूरी दुनिया में सैन्य बेस वाला अमेरिका खुद को कितना और कब तक बचा पाएगा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। US-Iran tension: ईरान की दूसरी सबसे ताकतवर शख्सियत और कमांडर कासिम सुलेमानी को ड्रोन हमले में मारकर अमेरिका ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति भले ही यह दलील दे रहे हों कि ऐसा करके उन्होंने भविष्य की जंग को टालने का काम किया है, लेकिन वास्तव में विशेषज्ञों की धारणा इसके प्रतिकूल है।

loksabha election banner

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के सैन्य सलाहकार मेजर जनरल हुसैन डेहघन ने चुनौती दी है कि वे अमेरिका के इस दुस्साहस का बदला उसे सीधे घाव देकर लेंगे। ईरान अमेरिकी सैन्य स्थलों को निशाना बनाएगा। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि पूरी दुनिया में सैन्य बेसों वाला अमेरिका खुद को कितना और कब तक बचा पाएगा। पेश है एक नजर:

अमेरिकी सैन्य अड्डे

सिंगापुर से लेकर जिबूती और बहरीन से लेकर ब्राजील तक पूरी दुनिया में अमेरिका के करीब 800 सैन्य अड्डे हैं। जहां से यह देश दुनिया के कोने-कोने पर अपनी निगाह रखता है। कहीं भी पत्ता खड़कने पर सबसे पहले अमेरिकी सैनिक और उसके सहयोगी देशों की ही सेना वहां पहुंचती है। इसके अतिरिक्त सैकड़ों की संख्या में इसके रक्षा प्रतिष्ठान हैं। ऐसे में अमेरिका का हर सैन्य अड्डा, रक्षा प्रतिष्ठान, हर सैनिक ईरान का लक्ष्य हो सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान है कि समुद्र में अमेरिकी पोतों, अमेरिकी वायुसेना के विमानों को निशाना बनाया जा सकता है। ईरान की बौखलाहट बताती है कि वह सैन्य अड्डे से कहीं दूर गए या छुट्टियां बिता रहे अमेरिकी सैनिकों को भी निशाने पर ले सकता है।

चौकस रहने की सीमा

सुलेमानी की हत्या के बाद भले ही अमेरिकी सेना बहुत चौकन्नी हो, लेकिन हमेशा चौकस रह पाने की संभावना को विशेषज्ञ खारिज करते हैं। रोजाना के कामकाज में कोई भी सेना बहुत समय तक सतर्क नहीं रह सकती है। ईरान उसी समय की ताक में होगा जब अमेरिकी सेना की चौकसी थोड़ी सी शिथिल पड़े। 2016 में कैलीफोर्निया में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर दो लोग जीप लेकर घुसे और एक लड़ाकू विमान में टक्कर मार दी। प्रवेश और निकासी के रास्ते पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध के बावजूद ऐसा हुआ।

ईरानी प्रशिक्षित सहयोगी

अमेरिका को यह खतरा सीधे ईरान के अलावा ऐसे छद्म समूहों से है जिनके ताल्लुकात ईरान से काफी मजबूत हैं। लेबनान में हिजबुल्ला इसी में से एक है। 1983 में बेरुत हवाईअड्डे पर अमेरिकी नौसेना के बैरक पर हमला करके 241 सैनिकों की हत्या इसी संगठन ने की थी। 1996 में सऊदी अरब के खोबर टावर्स में इसी संगठन ने 19 अमेरिकी सैनिकों को मार दिया था। इस आतंकी संगठन के प्रमुख हसन नसरल्लाह ने सुलेमानी की मौत का बदला लेने की बात कही है। पश्चिम एशिया से लेकर अफ्रीका तक इस संगठन की पहुंच है।

अभेद्य मानी जाने वाली अमेरिकी नौसेना भी निशाने पर

अमेरिका के पास वर्तमान में 293 ऐसी पोतें हैं जिन्हें कहीं भी कुछ समय की सूचना पर तैनात किया जा सकता है। इनमें से एक तिहाई पोतें समुद्र में या विदेशी पोर्ट पर किसी भी समय तैनात होती हैं। इनमें से हर एक ईरान का निशाना हो सकती है। अक्टूबर 2000 में यमन के अदन बंदरगाह पर यूएसएस कोल पर हमला हुआ था। आतंकी छोटी नौकाओं में विस्फोटक भर कर लाए थे और सीधे विशाल युद्धपोत से टकरा दिए थे। 17 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।

अमेरिका के भीतर भी खतरा

अमेरिकी जमीन भी अभेद्य नहीं है। अभी पिछले महीने फ्लोरिडा के एक नौसेना अड्डे पर और हवाई में पर्ल हार्बर नेवल शिपयार्ड में गोलीबारी की घटनाओं में पांच लोग मारे गए। दोनों मामलों में हमलावरों का किसी आतंकी संगठन से कोई नाता नहीं निकल सका। ऐसे में किसी के मन को पढ़ना अमेरिका क्या किसी भी विश्व शक्ति के लिए बहुत मुश्किल काम है।

यह भी पढ़ें:-

US-Iran tensions: अमेरिका व ईऱान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भारत सतर्क

जानें- अमेरिकी एयर स्‍ट्राइक के अनछुए पहलू, अमेरिका और इराक के संबंधों में शिया फैक्‍टर

दूतावास पर हमले के बाद अमेरिका ने सुलेमानी को किया ढेर, ईरान बोला- हत्‍या का लेंगे बदला


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.