पाक का नाम लिए बिना बोलीं सुषमा स्वराज- आतंक को पनाह देने वालों को खत्म करना ही होगा
OIC conclave के देशों के विदेश मंत्रियों को संबोधित करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि आतंकवाद और कट्टरवाद दोनों एक ही हैं। इसके खिलाफ लड़ाई किसी भी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती साख और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग थलग पड़ते पाकिस्तान का इतना बड़ा उदाहरण हाल के दिनों में देखने को नहीं मिला होगा। शुक्रवार को अबुधाबी में इस्लामिक देशों के संगठन (ओआइसी) की बैठक हुई और इसके उद्घाटन सत्र को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संबोधित किया। लेकिन इस संगठन के प्रमुख देशों में से एक पाकिस्तान ने हिस्सा नहीं लिया।
पाकिस्तान ने ओआइसी को धमकी दी थी कि अगर भारत को दिया गया आमंत्रण नहीं स्थगित किया तो वह बहिष्कार कर देगा। ओआईसी ने पाकिस्तान की धमकी को नजरअंदाज करना ज्यादा सही माना। विदेश मंत्री स्वराज ने बड़ी सफाई से पाकिस्तान में आतंकियों को मिल रही मदद पर खूब सुनाया भी।
संयुक्त अरब अमीरात ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि पाकिस्तान की मांग नहीं मानी जा सकती। ऐसे में विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने बैठक शुरु होने से ठीक पहले पत्र लिख कर सूचना दे दी कि उनका देश हिस्सा नहीं लेने जा रहा।
कुरैशी ने अपने पत्र में कश्मीर का भी खूब रोना रोया है और वहां के हालात के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है कि, ''पाकिस्तान ओआइसी का संस्थापक सदस्य है और भारत के साथ उसका विवादित मुद्दा है। भारत ओआइसी के प्रस्तावों को भी खारिज करता रहा है। ऐसे में भारत के पास कोई कानूनी व नैतिक आधार नहीं है कि उसे ओआइसी में बुलाया जाए।'' इसके बाद उन्होंने सूचित किया है कि पाकिस्तान इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा।
बहरहाल, पाकिस्तान के इस फैसले का ओआइसी के कार्यक्रम पर कोई असर नहीं हुआ। सुषमा स्वराज ने बेहद सारगर्भित भाषण में खाड़ी के देशों, इस्लामिक देशों के साथ भारत के कूटनीतिक व पारंपरिक रिश्तों की बखूबी बताया और आतंकवाद के मुद्दे पर सभी देशों को बताया कि किस तरह से इसकी वजह से क्षेत्रीय शांति को खतरा पैदा हो रहा है।
भारतीय वायु सेना की तरफ से पाकिस्तान के आतंकी संगठन को निशाना बनाने के बाद जो माहौल है उसे देखते हुए पाकिस्तान का नाम तो नही लिया लेकिन आतंकवाद पर जब वह बोल रही थी तब सभी को मालूम था कि इशारा किसकी तरफ है।
स्वराज ने ''अगर हमें मानवता को बचाना है तो उन देशों को रोकना होगा जो आतंकियों को शरण देते हैं या उन्हें वित्तीय मदद देते हैं। इन देशों को अपने यहां आतंकियों के प्रशिक्षण केंद्र को नष्ट करना होगा और आतंकी संगठनों को मिलने वाली अन्य सभी मदद को खत्म करना होगा।'' सुषमा ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। बल्कि कट्टरवादी और आतंकवादी धर्म को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हैं।
स्वराज ने कहा कि ''आतंकवाद से लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ लड़ाई नहीं है। इस्लाम में अल्लाह के 99 नामों में से कोई भी नाम हिंसा से जुड़ा हुआ नहीं है। इसी तरह से हर दूसरा धर्म भी शांति व भाईचारा का संदेश देती हैं।''
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के खतरे से हम सिर्फ सैन्य व कूटनीतिक से नहीं जीत सकते बल्कि उन्हें नैतिकता व मूल्यों से भी हराना होगा। इसके लिए धर्म की असली परिभाषा समझनी होगी। सुषमा ने अपने भाषण को पाक केंद्रित नहीं रखा बल्कि इसका इस्तेमाल मुस्लिम देशों के साथ भावी आर्थिक व कुटनीतिक संबंधों को प्रगाढ़ करने पर ज्यादा जोर दिया।