तुर्किये-सीरिया में इमारतों के मलबे में जिंदगी की तलाश, खुले आसमान तले कट रही रात; 1.3 करोड़ लोग प्रभावित
दक्षिण-पूर्वी तुर्किये और उत्तरी सीरिया में 7.8 की तीव्रता वाले भयावह भूकंप से प्रभावित ज्यादातर लोगों ने मस्जिदों स्कूलों या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर आश्रय लिया हुआ है। लेकिन वे सब ठसाठस भरे हैं और काफी संख्या में लोग खुले आसमान तले रातें काटने को मजबूर है।
अंकारा, रायटर। तुर्किये और सीरिया में सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बुधवार को यह आंकड़ा 11, 000 के पार हो गया है। अकेले तुर्किये में ही साढ़े आठ हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है। यही नहीं, 34,000 से ज्यादा लोग घायल हैं।
राहत एवं बचाव दल हजारों इमारतों के मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश में दिन रात जुटे हैं। दुनियाभर के देशों की खोजी टीमें भी इमारतों के मलबे में फंसे लोगों को तलाश रही हैं। इस बीच सर्दी भी यहां पहले से पीड़ित लोगों पर और सितम ढहा रही है। बारिश और हिमपात आग में घी का काम कर रहे हैं।
पूरी तरह से भरे हैं मस्जिद और स्कूल
दक्षिण-पूर्वी तुर्किये और उत्तरी सीरिया में 7.8 की तीव्रता वाले भयावह भूकंप से प्रभावित ज्यादातर लोगों ने मस्जिदों, स्कूलों या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर आश्रय लिया हुआ है। लेकिन वे सब ठसाठस भरे हैं और काफी संख्या में लोग खुले आसमान तले रातें काटने को मजबूर है। यही नहीं, उनके सामने भोजन व अन्य संकट भी पैदा हो गए हैं।
मदद का इंतजार कर रहे बहुत से लोग
तुर्किये के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में अब लगभग 60,000 सहायता कर्मी हैं, लेकिन तबाही इतनी व्यापक है कि बहुत से लोगों को अब भी मदद पहुंचने का इंतजार है। वहां प्रभावित मौत व जिंदगी के बीच झूल रहे हैं। इस बीच बुधवार को तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने कहा कि हम अपने किसी भी नागरिक को सड़क पर नहीं छोड़ेंगे। पीड़ितों की हरसंभव मदद की जाएगी। एर्दोआन ने बताया कि देश के 8.5 करोड़ लोगों में से 1.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।
मलबे से निकले बच्चे को देख दादा ने चूमा माथा
राहतकर्मियों ने अदियामन शहर में 10 वर्षीय बैतूल एडिस को मलबे से निकाला तो लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से बचावकर्मियों का स्वागत किया। घायल बच्चे के दादा ने प्यार से माथा चूमा और उससे बात की। उधर, कहरामनमारस शहर में बचाव दल ने एक तीन वर्षीय बच्चे आरिफ कान को एक ढह चुकी एक इमारत के मलबे के नीचे से निकाला। लड़के के पिता एर्टुगरुल कीसी को राहतकर्मी पहले ही मलबे से सुरक्षित निकाल चुके थे। पिता मलबे से अपने बच्चे को सुरक्षित निकाल एंबुलेंस में ले जाते देख अपने आंसू रोक नहीं पाया।
इसी शहर के अली सगिरोग्लू ने कहा कि मैं अपने भाई और भतीजों को मलबे से वापस नहीं ला सकता। इधर-उधर देखिए। यहां आज तक कोई अधिकारी या राहतकर्मी नहीं है। बच्चे ठंड से ठिठुर रहे हैं।
तुर्किये में एक भारतीय लापता, 10 अन्य फंसे
विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा कि भूकंप के बाद तुर्किये के दूरदराज क्षेत्रों में दस भारतीय फंसे हुए हैं, लेकिन वे सुरक्षित हैं। एक अन्य नागरिक का दो दिनों से कुछ पता नहीं चल रहा। वह माल्टया की व्यापारिक यात्रा पर थे। हम बेंगलुरु में उनके परिवार और कंपनी के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि तुर्किये में 3,000 भारतीय नागरिक हैं। इनमें से लगभग 1,850 इस्तांबुल में और 250 अंकारा में रह रहे हैं।
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12 साल बाद भूकंप से इतनी बड़ी तबाही
जापान में 2011 में आए रिक्टर पैमाने पर 9.0 तीव्रता वाले भूकंप के बाद से यह सबसे भयावह भूकंपीय घटना है। तब भूकंप के बाद सुनामी आई थी, जिसमें लगभग 20,000 लोग मारे गए थे और छह हजार से ज्यादा जख्मी हुए थे। इसके अलावा अप्रैल 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें लगभग 9,000 लोग मारे गए और 80 लाख से अधिक लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।