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इजरायल ने माना, 2007 में सीरियाई परमाणु रिएक्टर पर की थी बमबारी

इजरायली सेना के अनुसार 2007 में पांच और छह सितंबर की रात अंजाम दिए गए अभियान में आठ एफ-16 और एफ-15 लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया था।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 07:17 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 07:17 PM (IST)
इजरायल ने माना, 2007 में सीरियाई परमाणु रिएक्टर पर की थी बमबारी
इजरायल ने माना, 2007 में सीरियाई परमाणु रिएक्टर पर की थी बमबारी

यरुशलम, रायटर। इजरायल ने बुधवार को पहली बार माना कि उसने वर्ष 2007 में बमबारी कर सीरिया के संदिग्ध परमाणु रिएक्टर को तबाह कर दिया था। साथ ही कहा, यह हवाई हमला ईरान के लिए चेतावनी है कि इजरायल किसी को परमाणु हथियार बनाने की इजाजत नहीं देगा।

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इजरायली सेना ने पूर्वी सीरिया के दीर अल-जोर शहर के पास अल-कुबर संयंत्र पर छह सितंबर, 2007 को किए गए हवाई हमले के गोपनीय फुटेज, फोटो और खुफिया दस्तावेज जारी किए हैं। सेना ने कहा कि इस परमाणु रिएक्टर का निर्माण उत्तर कोरिया की मदद से किया जा रहा था और कुछ महीनों बाद ही वह काम शुरू करने वाला था। इजरायल ने इस हमले के बारे में जानकारी ऐसे समय पर उजागर की है जब प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पिछले कई माह से अमेरिका और वैश्विक समुदाय से सीरिया के सहयोगी ईरान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। खुफिया मामलों के मंत्री इजरायल काट्स ने ट्विटर पर कहा, '2007 के ऑपरेशन और इसकी सफलता से साफ है कि इजरायल उन लोगों (तब सीरिया और अब ईरान) के हाथ में परमाणु हथियार बर्दाश्त नहीं करेगा जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा बने हैं।'

आठ लड़ाकू विमानों ने गिराए थे बम

इजरायली सेना के अनुसार 2007 में पांच और छह सितंबर की रात अंजाम दिए गए अभियान में आठ एफ-16 और एफ-15 लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया था। इन विमानों ने संयंत्र पर 18 टन गोला-बारूद गिराया था।

बुश और इजरायली पीएम के बीच हुई थी चर्चा

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने 2010 में अपनी आत्मकथा 'डिसीजन प्वाइंट्स' में यह उजागर किया था कि सीरियाई संयंत्र को लेकर उनकी तत्कालीन इजरायली प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट से चर्चा हुई थी। बुश के अनुसार उन्होंने हालांकि हमले के लिए हरी झंडी नहीं दी थी।

परमाणु कार्यक्रम का शांतिपूर्ण मकसद: ईरान

ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ शांतिपूर्ण मकसद के लिए है। इसके चलते लगे प्रतिबंधों से राहत पाने के लिए उसने साल 2015 में समझौता किया था। इस समझौते को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नेतन्याहू ने कड़ा रुख अपना रखा है।


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