इराक में ईरान समर्थित मिलिशिया ने सशर्त रखी युद्धविराम की पेशकश, जानें क्या है शर्त
अमेरिकी सेनाओं पर ईरान समर्थित इराकी सेना की ओर से किए जा रहे हमलों पर अस्थायी तौर से रोक लगाने को लेकर सहमति जताई गई है लेकिन शर्त यह भी रखा गया है कि अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिकों की वापसी हो जाए।
बगदाद, एपी। अमेरिकी सेनाओं पर ईरान समर्थित मिलिशिया की ओर से किए जा रहे हमलों पर अस्थायी तौर से रोक लगाने को लेकर सहमति जताई गई है लेकिन शर्त यह भी रखा गया है कि अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिकों की इराक से वापसी हो जाए। यह जानकारी तीन सैन्य अधिकारियों ने दी है।
अमेरिकी गठबंधन द्वारा हथियार लाने के क्रम में निशाना बनाते हुए सड़क किनारे विस्फोट के बाद इराकी सैनिकों ने बताया कि इस हमले में एक वाहन को नुकसान पहुंचा है। बगदाद के दक्षिण में एक राजमार्ग पर हुए हमले ने इस बात पर सवाल खड़े कर दिए कि क्या इस तरह की युद्धविराम संधि सभी मिलिशिया गुटों में हो सकती है।
सड़क किनारे लगाए जाने वाले बमों और खास तौर पर बगदाद में अमेरिकी दूतावास को निशाना बना कर किये जाने वाले रॉकेट हमले आम बात हो गए हैं जिनसे अमेरिका और इराक के बीच रिश्ते तनावपूर्ण बन गए हैं। ईरान समर्थित शक्तिशाली कातिब हिजबुल्लाह (Kataib Hezbollah) के प्रवक्ता मोहम्मद मोही (Mohammed Mohie) ने कहा कि मिलिशिया गुटों ने युद्ध विराम संधि की पेशकश की और इराक में दूतावास समेत अमेरिका सुरक्षा बलों को इस शर्त पर निशाना नहीं बनाएंगे कि अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन के सभी सुरक्षा बल बताए गए समय सीमा के भीतर देश से वापस चले जाएं।
वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान पर हथियारों के व्यापार को लेकर प्रतिबंध लगाया था। इसके अलावा ईरान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध और उनकी संपत्ति को फ्रीज कर दिया था। वर्ष 2010 में ईरान पर घातक हेलिकॉप्टर और मिसाइल जैसे भारी हथियारों की खरीद पर रोक लगा दी गई थी। वर्ष 2015 में परमाणु समझौते से पूर्व की तरह संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध ईरान में लागू हो गए। इसके साथ ही ईरान की परमाणु संवर्धन गतिविधियों, बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और परमाणु हथियार तकनीक के हस्तांतरण समेत अन्य हथियार संबंधी गतिविधियों पर प्रतिबंध लग गए।