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लड़ाई से तबाह और फिर आबाद किए इस गांव में सिर्फ रहती हैं महिलाएं, नाम है 'जिनवार'

सीरिया का जिनवार ऐसा ही गांव है जहां सिर्फ महिलाएं रहती है। अपनी मेहनत के बल पर महिलाओं ने इस गांव को आबाद किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 11:45 AM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 08:21 AM (IST)
लड़ाई से तबाह और फिर आबाद किए इस गांव में सिर्फ रहती हैं महिलाएं, नाम है 'जिनवार'
लड़ाई से तबाह और फिर आबाद किए इस गांव में सिर्फ रहती हैं महिलाएं, नाम है 'जिनवार'

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पश्चिम एशिया का देश सीरिया लंबे समय से गृहयुद्ध के कारण तबाही को झेल रहा है। आतंकी संगठन आइएसएस से चल रहे युद्ध और गोलीबारी के कारण यहां कई गांवों की स्थिति ऐसी है, जो पुरुष विहीन हो गए हैं। ऐसे में यहां की महिलाओं के सामने अस्तित्‍व का संकट सामने आया गया। अलग-अलग समुदाय की महिलाओं ने यहां मिलजुलकर गांवों को आबाद किया। सीरिया का जिनवार ऐसा ही गांव है, जहां सिर्फ महिलाएं रहती है। अपनी मेहनत के बल पर महिलाओं ने इस गांव को आबाद किया है।

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गृहयुद्ध में पति की मौत के बाद बदल गई दुनिया
यहां रहने वाली फातिमा अमीन ऐसी ही महिला हैं, जिनके पति सीरिया के युद्ध में बारूदी सुरंग के विस्‍फोट में आतंकी संगठन आइएसआइएस द्वारा मारे गए। पति के मौत के बाद फातिमा अमीन की दुनिया बदल गई। इसके बाद घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हुई, जिसके कारण बहुत संख्‍या में महिलाओं को जिनवार में लाकर बसाया गया। इस गांव को बसाने में इन महिलाओं ने बड़ी भूमिका अदा की। यह गांव सीरियाई महिलाओं और उनके बच्चों के लिए एक कठोर परिवारिक संरचना, घरेलू दुर्व्यवहार और गृहयुद्ध की भयावहता से बचने के लिए एक शरणस्‍थली के रूप में जाना जाता है।

अलग-अलग महिलाओं का समूह रहता है गांव में
कुर्दीश भाषा में जिनवार का मतलब 'महिलाओं की जमीन' होता है। इस गांव ने धर्म, जातीयता और राजनीतिक विचारों की परवाह किए बिना सीरियाई महिलाओं और बच्चों का स्वागत किया। यह अपने आप में विविध महिलाओं की एक पच्‍चीकारी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और जीवन के एक नए रूप का अनुभव करना चाहती हैं।

फातिमा ने अरबी भाषा में बताया कि जिनवार हर उस व्यक्ति की प्रतिक्रिया है जो किसी महिलाओं की स्वतंत्रता के उल्लंघन के बारे में सोचता है या महिला को समाज में कमतर देखता है। यहां ऐसी महिलाएं और बच्‍चे हैं जो ठीक तरीके से जीवन यापन नहीं कर पा रही हैं। उन्‍होंने आगे कहा कि इसके विपरीत महिलाएं चाहें तो वे अपना घर बना सकती हैं। यहां हमने न केवल कुर्द महिलाओं के लिए एक गांव बनाया बल्कि हमारे पास अरब महिलाएं भी है, हमारे पास यजीदी भी हैं और हमारे कुछ विदेशी मित्र भी साथ रह रही हैं।

छह बच्‍चों को साथ रखने के लिए लड़नी पड़ी लड़ाई
अगस्त 2015 में फातिमा अमीन के पति की मौत होने के बाद विधवा होने का कलंक उस पर भारी पड़ा। उन्होंने कहा कि 35 वर्षीय को छह बच्चों को साथ रखने के लिए लड़ना पड़ा। उनके पति के परिवार ने उनके बच्‍चों को बार-बार उनसे दूर किया। वह नहीं चाहती थी कि वह काम करे। अमीन ने परिवार की देखरेख में बेटियों की परवरिश के लिए कोबानी की स्थानीय सरकार में नौकरी करने की मांग की।

उनका कहना है कि वे उसे और उसके बच्चों को कमजोर समझते थे, जबकि उनकी रक्षा के लिए कोई आदमी नहीं बचा था। यहां जिन लोगों के साथ मैं घुल-मिल कर रह रही थी, उन्होंने इस बात को महत्व नहीं दिया और उन्‍होंने मुझे एक मजबूत या कामकाजी महिला के रूप में स्वीकार नहीं किया या अपने पति की मौत के बाद बच्चों की परवरिश की। अमीन ने कहा कि मैंने (कुर्द) प्रशासन में काम किया और मेरा काम अच्छा और उत्कृष्ट था।

यहां समूह में रहती हैं महिलाएं
जब वह कुर्दिश महिला आंदोलन समूह की मदद से अपने बच्चों को वापस लाने में कामयाब रही तो दो साल पहले कुर्दीश महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्‍तर पूर्व सीरिया के एक गांव जिनवार चली गईं। यहां हस्तनिर्मित ईंटों से निर्मित भूरे और आयताकार घरों को सूखी और पकी हुई जमीन पर बनाया गया हैं। बाद में घरों को पेंट किया गया और उनको सजाया गया जो उन परिवारों को छू जाते हैं जो उनमें रहते हैं।

आज जिनवार के घरों में 16 महिलाएं और 32 बच्‍चे रहते हैं। पुरुषों को दिन में यात्रा करने की अनुमति दी जाती है, जब तक वे महिलाओं के प्रति सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हैं, लेकिन वे रात भर नहीं रह सकते हैं। शिफ्ट में काम करते हुए महिलाएं जिनवार में आने-जाने वालों पर नजर रखती हैं। रात की सुरक्षा के दौरान वे अपने साथ हथियार भी रखती हैं।

इस गांव की जिंदगी है काफी खूबसूरत
30 वर्षीय जियान एफरिन दो बेटियों और एक बेटे की मां हैं, जो दादा के साथ कहीं रहते हैं। उत्तर पश्चिमी सीरिया के एक शहर अफरीन पर तुर्की के हमले से बचने के लिए एफरिन खुद तीन महीने पहले गांव आईं थीं। उन्‍होंने कहा कि जिनवार में जिंदगी काफी सुंदर है। यहां आप सामान्‍य सोसाइटी की तरह महसूस कर सकते हैं और आप यहां रह सकते हैं। एफरिन का कहना है कि हम काम करते हैं। हम खेती करते हैं। यहां की ग्राम परिषद द्वारा भुगतान किया जाता है।

आमीन का कहना है कि यहां रहने वाली कुछ महिलाओं को दुष्‍कर्म, आतंकी संगठन आईएसआईएस और अन्य हथियारबंद समूहों के हाथों मौत के घाट उतराने, विस्‍थापन, कारावास का परिणाम भुगतना पड़ा। जिनको युद्ध के हालात से हम गुजरे हैं, उनमें हर महिला को नुकसान उठाना पड़ा है। जि‍नवार की ज्‍यादातर महिलाएं साथ हैं। सीरिया के गृह युद्ध ने इस देश को तबाह कर दिया। यहां की अर्थव्यवस्था को गंभीर संकट का सामना करना पड़ा। इस देश को मनमाने तरीके से बंदी बनाने और रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल ने बर्बाद कर दिया। इसने 21 वीं सदी का सबसे खराब शरणार्थी संकट पैदा कर दिया। यह संकट अब भी जारी है। 

जानिये कैसे काम करती हैं गांव की महिलाएं
दो साल पहले जिनवार भाग कर आए हुए लोगों की जगह थी। एक साल की योजना के बाद स्‍थानीय कुर्द महिला संगठन जैसे कोंग्रेया स्‍टार और द फ्री वीमेन फाउंडेशन ऑफ रोजवा ने इस गांव का निर्माण शुरू किया। इस काम के लिए स्‍थानीय संगठनों के साथ अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों ने जिनवार को लेकर धन आवंटित किया। यह गांव आधिकारिक रूप से 25 नवंबर, 2018 को खोला गया।

जिनवार की कार्यकर्ता नुजीन दरिया का कहना है कि यहां एक परिषद है जिसमें महिलाएं हर महीने गांव के नेता के रूप में कार्य करती हैं। महिलाओं ने मिट्टी के ईंटों का उपयोग करके गांव को टिकाऊ और पारिस्थितिक रूप से सक्षम बनाया है। यहां पर 30 घरों का निर्माण किया गया है। जिसमें एक दुकान और एक बेकरी का भी निर्माण किया, जहां वे एक दूसरे को पड़ोसी गांवों के ब्रेड और हस्तशिल्प बेचती हैं। उनके पास ऐसी जमीनें भी हैं जहां वे जानवरों को पालती हैं और वे फसलें भी उगाती हैं, जिन्हें वे बेचती भी हैं।

गांव में एक वैकल्पिक चिकित्सा अस्पताल है, जहां कुछ महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है, लेकिन उनके पास अभी भी एक पूरी तरह से अस्पताल खोलने के लिए पर्याप्त दवाओं की कमी है। दरिया ने कहा कि जिनवार में बड़े होने वाले बच्चों को इस बात का विकल्प दिया जाएगा कि वे जिनवार में रहें क्‍योंकि वे वे जिनवार के मूल्‍यों के साथ बड़े हुए हैं। 

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